गैंगस्टर गवली की समय पूर्व रिहाई के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट करेगा सुनवाई, मिली हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती

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गैंगस्टर से नेता बने अरुण गवली (Arun Gawli) की समय पूर्व रिहाई के मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) के आदेश को चुनौती देने वाली महाराष्ट्र सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सोमवार को सुनवाई होगी। गवली हत्या के एक मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है।

न्यायमूर्ति अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की अवकाशकालीन पीठ के समक्ष गवली की समय से पहले रिहाई का विरोध किया गया है। गवली को महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) के प्रविधानों के तहत भी दोषी ठहराया गया था। बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर पीठ ने पांच अप्रैल को गवली की याचिका स्वीकार कर ली थी। इसमें गवली ने 10 जनवरी, 2006 की छूट नीति के आधार पर राज्य सरकार को समय से पहले रिहाई के लिए निर्देश देने का अनुरोध किया था।

शिवसेना पार्षद की हत्या मामले में आजीवन कारावास की सजा
मुंबई के शिवसेना पार्षद कमलाकर जामसांडेकर की 2007 में हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे गवली ने दावा किया है कि उसने 2006 की नीति की सभी शर्तों का पालन किया है। राज्य प्राधिकारियों द्वारा समय से पहले रिहाई के लिए उसके आवेदन को खारिज करना अन्यायपूर्ण और मनमाना है।

आदेश के आधार पर याचिकाकर्ता को रिहा किया जाना आवश्यक
हाई कोर्ट ने अपने नौ मई के आदेश में कहा है कि सुप्रीम कोर्ट में एक विशेष अनुमति याचिका दायर की गई है। सुप्रीम कोर्ट की ग्रीष्मकालीन छुट्टियां 20 मई, 2024 से शुरू होंगी। हमारे आदेश के आधार पर याचिकाकर्ता को रिहा किया जाना आवश्यक है। यदि उसकी रिहाई स्थगित की जाती है, तो यह उसकी स्वतंत्रता को कमतर करेगा।

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