रोहिणी व्रत जैन संप्रदाय के लोगों के लिए खास महत्व रखता है. इस व्रत को जैन संप्रदाय के लोग पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ रखते हैं.
कार्तिक मास का रोहिणी व्रत 14 अक्टूबर शुक्रवार को रखा जा रहा है. इस व्रत को महिला और पुरुष दोनों ही रखते हैं. जैन संप्रदाय में मान्यता है कि इस व्रत को महिलाओं द्वारा अनिवार्य रूप से रखा जाना चाहिए. रोहिणी नक्षत्र के दौरान इस व्रत को रखा जाता है और इन नक्षत्र के समाप्त होने पर पारण किया जाता है.
क्यों रखा जाता हो रोहिणी व्रत
जैन संप्रदाय की मान्यताओं के अनुसार, रोहिणी व्रत जब रोहिणी नक्षत्र का संयोग बनता है तब रखा जाता है. यही वजह है कि इस व्रत को रोहिणी व्रत कहा जाता है. रोहिणी व्रत के दौरान श्रद्धापूर्वक व्रत रखकर अपने आराध्य देव की पूजा की जाती है.
रोहिणी व्रत 14 अक्टूबर शुभ मुहूर्त
रोहिणी नक्षत्र आरंभ- 13 अक्टूबर शाम 6 बजकर 41 मिनट के बाद
रोहिणी नक्षत्र का समापन- 14 अक्टूबर को रात 8 बजकर 47 मिनट पर
रोहिणी व्रत तिथि- 14 अक्टूबर, 2022
रोहिणी व्रत पूजा-विधि
रोहिणी व्रत रखने वाले श्रद्धालु व्रत के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में जगते हैं. उसके बाद पूरे घर और पूजा स्थल की साफ-सफाई करते हैं. इसके बाद स्नान करके गंगाजल से शुद्घ होकर व्रत का संकल्प लिया जाता है. फिर सूर्यदेव को जल अर्पित किया जाता है. इसके बाद अपने ईष्ट देव की पूजा की जाती है. जो लोग रोहिणी व्रत रखते हैं वे सूर्यास्त से पहले फलाहार करते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि सूर्यास्त के बाद ना तो फलाहार किया जाता है और ना ही भोजन.
रोहिणी व्रत का महत्व
जैन संप्रदाय के लोगों के लिए रोहिणी व्रत का खास महत्व है. माना जाता है कि इस व्रत को विधिवत करने के व्यक्ति को कर्म के बंधनों के छुटकारा मिल जाता है. साथ ही व्रती के आत्मा के विकार दूर होते हैं. मान्यता है रोहिणी व्रत को करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है. साथ ही मन-मस्तिष्क शांत रहता है. मन में किसी प्रकार के विकार उत्पन्न नहीं होते हैं.