ब्रिटेन के रक्षा मंत्रालय के एक ट्वीट के अनुसार, रूसी सैनिकों को मध्यकालीन तकनीकों का उपयोग करके दंडित किया जा रहा है, क्योंकि कमांडर खराब अनुशासन पर कायम हैं।
सैनिकों को क्रेमलिन के साथ अपने अनुबंधों को समाप्त करने का प्रयास करने और यूक्रेन में लड़ने से इनकार करना भारी पड़ रहा है। सजा के तौर पर उन्हें जिंदान कहे जाने वाले पिंजरे में डाला जा रहा है। ब्रिटेन के रक्षा मंत्रालय ने एक ट्वीट में कहा कि उसने जिंदान के उपयोग में होने की कई रिपोर्टें सुनी हैं। इसमें जमीन में छेद होते हैं जो धातु की जाली से ढके होते हैं।
मंत्रालय ने रविवार को अपने दैनिक खुफिया अपडेट में कहा, हाल के महीनों में रूसी कमांडरों ने जिंदान में सैनिकों को हिरासत में लेकर अनुशासन के उल्लंघन की सजा देना शुरू कर दिया है। जिंदान प्राचीन सजा का हिस्सा था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रूस में यह सजा दी जाती थी।
इसके अलावा 20वीं सदी की शुरुआत में मध्य एशिया के कुछ हिस्सों में भी जिंदान की सजा दी जाती थी। ब्रिटेन के रक्षा मंत्रालय के अनुसार इस रणनीति में बदलाव तब हुआ जब रूस के चीफ ऑफ जनरल स्टाफ जनरल वालेरी गेरासिमोव ने यूक्रेन में सैन्य अभियानों को अपने नियंत्रण में लिया।