रिपब्लिकन की ओर से राष्ट्रपति चुनाव की उम्मीदवारी हासिल करने के लिए प्रतिस्पर्धा कर रहे भारतवंशी विवेक रामास्वामी ने एच-1बी वीजा को अनुबंधित दासता बताया है।
साथ ही कहा कि अगर वह अमेरिका के राष्ट्रपति बने तो वह इस लाटरी व्यवस्था को खत्म कर योग्यता के आधार पर प्रवेश देने की प्रणाली लागू करेंगे।
एच-1बी वीजा भारतीय आइटी पेशेवरों के बीच काफी लोकप्रिय है। यह एक गैर-आप्रवासी वीजा है, जो अमेरिकी कंपनियों को विदेशी श्रमिकों को विशेष व्यवसायों में नियोजित करने की अनुमति देता है। टेक कंपनियां भारत और चीन जैसे देशों से हर साल हजारों कर्मचारियों को नियुक्त करने के लिए इसका इस्तेमाल करती हैं।
खुद कर चुके हैं वीजा का इस्तेमाल
पीटीआई की खबर के मुताबिक, रामास्वामी ने खुद 29 बार एच-1बी वीजा कार्यक्रम का इस्तेमाल किया है। पोलिटिको की रिपोर्ट के अनुसार, 2018 से 2023 तक अमेरिकी नागरिकता और इमिग्रेशन सेवाओं ने एच-1बी वीजा के तहत कर्मचारियों को नियुक्त करने के लिए रामास्वामी की पूर्व कंपनी रोइवंत साइंसेज के लिए 29 आवेदनों को मंजूरी दी है।
रामास्वामी ने कहा कि लाटरी प्रणाली को वास्तविक योग्यता आधारित प्रवेश नियम से बदलने की आवश्यकता है। यह अनुबंध दासता का एक रूप है, जो केवल उस कंपनी को लाभ पहुंचाता है, जिसने इसका उपयोग किया हो। मैं इसे खत्म कर दूंगा।