ओडिशा के बालासोर में हुए ट्रेन हादसे के एक महीने बाद रेलवे सुरक्षा आयुक्त (सीआरएस) ने दुर्घटना के लिए ‘मानवीय गलती’ को जिम्मेदार बताया है.
साथ ही सीआरएस ने किसी भी तरह के तोड़फोड़ या तकनीकी खराबी की बात को खारिज किया है. गौरतलब है कि इस हादसे में 293 लोगों की मौत हो गई थी जबकि 1,000 से अधिक घायल हो गए थे.
रेल दुर्घटना की जांच कर रहा है सीबीआई
बताते चलें कि केंद्रीय जांच ब्यूरो पहले से ही इस दुर्घटना में आपराधिक साजिश की किसी भी संभावना की जांच कर रहा है. जानकारों के अनुसार जांच में कुछ अधिकारियों की लापरवाही उजागर हुई है. अधिकारियों ने निरीक्षण के दौरान पर्याप्त सुरक्षा प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया था. खासकर तीन साल पहले जब सुरक्षा चिंताओं के कारण डिजाइन में बदलाव किए गए थे उसके बाद उन्होंने समुचित जांच नहीं की थी.
अधिकारियों के खिलाफ हो सकती है कार्रवाई
अधिकारियों ने कहा है कि न केवल सिग्नलिंग विभाग के लोगों ने सुरक्षा मानकों को नजर अंदाज किया बल्कि अन्य लोगों ने भी इसे चिह्नित नहीं किया. संभावना है कि रेल मंत्रालय उन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई कर सकता है. एक अधिकारी ने बताया कि पहले केंद्रीय टीम गलती को पकड़ने में असफल रही और बाद में हर साल होने वाले जांच में भी इस पकड़ा नहीं जा सका. इसलिए यह कहा जा सकता है कि यह किसी एक शख्स की गलती का परिणाम नहीं था कम से कम 5 लोगों ने गलती की है.
सीआरएस की रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं करेगा रेलवे
अधिकारी ने कहा कि रेलवे सीआरएस की रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं करेगा ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सीबीआई जांच पर कोई प्रभाव या हस्तक्षेप न हो. अधिकारियों ने कहा, सीआरएस रिपोर्ट के निष्कर्षों और उसके बाद की सीबीआई रिपोर्ट से भारतीय रेलवे को अपनी सुरक्षा प्रणालियों को फिर से दुरुस्त करने में मदद मिलेगी. उन्होंने कहा कि रेलवे इस्पात उद्योग में उपयोग की जाने वाली सर्वोत्तम तकनीकों और दुनिया भर में उपयोग की जाने वाली रेलवे सुरक्षा प्रणालियों पर विचार कर रहा है.
रेलवे यात्रियों की सुरक्षा को बढ़ाने के लिए कर रहा है काम
अधिकारी ने कहा कि सिग्नल के आधार पर ट्रेन की गति तय करने वाले ड्राइवर की गलती को रोकने के लिए, हम टकराव-रोधी उपकरणों के उपयोग पर जोर दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि हम बालासोर जैसी दुर्घटनाओं को रोकने के लिए रेलवे नेटवर्क में इलेक्ट्रॉनिक रिले सिस्टम के व्यापक उपयोग पर विचार कर रहे हैं.ये रेल सुरक्षा के लिए सबसे मजबूत, आजमाई हुई और परखी हुई प्रणालियां हैं.
अधिकारी ने कहा कि पूरे देश में ऐसी प्रणाली लागू होने में तीन साल तक का समय लग सकता है और रेलवे और केंद्र यह सुनिश्चित करने के लिए लगातार प्रतिबद्ध हैं कि यात्रियों की सुरक्षा पर कोई समझौता न हो. कुछ दिन पहले ही, रेलवे बोर्ड ने ट्रेन नियंत्रण तंत्र के साथ अपने सभी रिले रूम के लिए डबल-लॉकिंग व्यवस्था शुरू की है.