Lumpy Skin Disease: अब नॉर्थ-ईस्ट के इलाकों में कहर बरपा रही लंपी बीमारी, नागालैंड के 8 जिले बुरी तरह प्रभावित
गुरुवार को जारी एक आधिकारिक अधिसूचना में नागालैंड को लम्पी स्किन डिजीज (LSD) पॉजिटिव राज्य घोषित कर दिया गया है। नागालैंड के 16 जिलों में से आठ जिलों में 900 से अधिक मवेशी इस बीमारी से ग्रसित पाए गए हैं।
पूर्वोत्तर राज्य सरकार ने मवेशियों को बचाने के लिए टीकाकरण और क्वारंटाइनव सहित सभी निवारक उपाय करने का निर्णय लिया है, जिनमें से अधिकांश ‘थूटो’ मवेशी हैं, जिनकी नस्ल नागालैंड में पाई जाती है।
पशुपालन और पशु चिकित्सा सेवा विभाग के आयुक्त और सचिव विकी केन्या द्वारा जारी सरकारी अधिसूचना में कहा गया है कि पाए गए सकारात्मक मामलों में, नागालैंड को एलएसडी सकारात्मक राज्य घोषित किया गया है।
उन्होंने कहा कि यह घोषणा पशुओं में संक्रामक और संक्रामक रोगों की रोकथाम और नियंत्रण अधिनियम, 2009 के अनुसार की गई है।
पशुपालन और पशु चिकित्सा सेवा विभाग द्वारा 24 जुलाई तक संकलित आंकड़ों के अनुसार, पिछली जनवरी से आठ जिलों के 31 स्थानों में कुल 931 मवेशी, विशेष रूप से ‘थूथो’, एलएसडी से संक्रमित पाए गए हैं। इनमें 49 संक्रमित मवेशियों की मौत हो चुकी है।
‘थूथो’ देश की नई मवेशी नस्ल है, जनवरी में हुआ था पंजीकरण
‘थूथो’ मवेशी नागालैंड की मूल नस्ल है और वह मध्यम आकार की होती है तथा उनका स्वभाव विनम्र व रंग काला होता है। जानकारी के मुताबिक इनकी संख्या 53 हजार है।
केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय द्वारा जारी गाइडलाइंस का पालन करते हुए, एलएसडी, एक वायरल बीमारी के प्रसार को रोकने के लिए सभी निवारक उपाय किए जा रहे हैं।
राज्य के आंकड़ों के अनुसार, जिलों में टीकाकरण के लिए कुल 44,853 अतिसंवेदनशील मवेशी हैं, जिनमें केवल 1,602 को टीका लगाया गया है, वहीं ठीक होने वाले मवेशियों की संख्या 522 है।
टीकाकरण की धीमी प्रगति के कारणों पर विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि एलएसडी के लिए कोई टीका उपलब्ध नहीं है क्योंकि यह एक उभरती हुई बीमारी है।
कीड़ों के माध्यम से फैल रही लंपी बीमारी
उन्होंने कहा कि हालांकि विभाग संक्रमित जानवरों को अलग करने की कोशिश कर रहा है, लेकिन इससे भी ज्यादा मदद नहीं मिल रही है क्योंकि एलएसडी कुछ प्रकार के मच्छरों और मक्खियों जैसे खून पीने वाले कीड़ों के माध्यम से भी फैल सकती है। बता दें, प्रदेश के आठ जिलों में एलएसडी पाया गया है, जिनके नाम हैं मोन, कोहिमा, मोकोकचुंग, न्यूलैंड, पेरेन, चुमौकेदिमा, फेक और तुएनसांग।
बताते चलें कि पिछले साल इस बीमारी से प्रभावित राज्यों में राजस्थान, महाराष्ट्र, पंजाब, कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश, गुजरात, हरियाणा और जम्मू-कश्मीर शामिल थे।