महाराष्ट्र में गढ़चिरौली (Gadchiroli) जिला नक्सल प्रभावित संवेदनशील जिला है. पुलिस और सरकार यहां नक्सलियों से मोर्चा लेने के साथ समर्पण करवाकर मुख्यधारा में लाने का प्रयास करती रहती है.
उनके लिए बस्ती बसाने से लेकर रोजगार दिलाने का भी काम करती रहती है. इसी क्रम में एक कदम आगे बढ़ते हुए अब गढ़ चिरौली जिले में समर्पण कर चुके नक्सलियों को अब फिल्मों में अभिनय का मौका देने की कोशिश है.
गढ़चिरौली जिले में जिस तरह नक्सली एक समस्या हैं उसी तरह से यहां के आदिवासियों में भी कई तरह की कुरीतियां हैं. यहां कई इलाकों में महिलाओं को मासिक धर्म के दिनों में घर के बाहर बने एक छोटे से मकान में रहना पड़ता है. जिसे कुर्माघर कहा जाता है. इसी पर एक फिल्म बनने जा रही है. जिसके लिए फिल्म कंपनी को स्थानीय कलाकारों की तलाश है. पुलिस के मुताबिक 25 पूर्व नक्सलियों ने ऑडिशन में हिस्सा लिया था जिनमे से 5 का चयन हो गया है.
गढ़चिरौली के पुलिस अधीक्षक निलोत्पल ने कहा कि 25 लोगों में से 5 ने अच्छा ऑडिशन दिया और अब फिल्म टीम उन्हे फिल्म में काम देने वाली है. गढ़ चिरौली पुलिस का उद्देश्य यही है कि ऐसे सरेंडर लोगों को स्टेट नेशनल और इंटरनेशनल लेवल के सिल्वर स्क्रीन पर अगर उन्हें दिखा पाए तो जो नक्सली बंदूक लेकर घूम रहे हैं वो मुख्यधारा में आ पाएंगे.
गौरतलब है कि सरकार के खिलाफ बंदूक उठा चुके नक्सलियों को मुख्यधारा में वापस लाने के लिए गढ़चरोली पुलिस ने नवजीवन बस्ती बसाई है जिसमें उनके रहने की व्यवस्था है और रोजगार की भी ट्रेनिंग दी जाती हैं. यहां तक कि परिवार बसाने में सहयोग के लिए सामूहिक विवाह की व्यवस्था हैऔर आर्थिक मदद भी की जाती है. हिंदुस्तान के कई जिलों में नक्सली एक बड़ी समस्या हैं…एक तरफ नक्सलियों और पुलिस में मुठभेड़ होना आम बात है तो दूसरी तरफ पुलिस प्रशासन और सरकार उन्हे हिंसा छोड़कर मुख्यधारा में लाने की कोशिश में भी जुटी रहते हैं. अब फिल्मों में अभिनय करने का मौका दिलाकर गढ़ चिरौली पुलिस ने एक अनोखी पहल की है.