विद्यालयों के खस्ता हालत पर कर्नाटक HC ने सरकार को लताड़ा, ‘सरकारी स्कूलों में बच्चों के लिए पानी तक नहीं’

0 46

कर्नाटक हाई कोर्ट ने कहा है कि विद्यालयों में बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराने में राज्य सरकार की विफलता ने उन गरीब लोगों को अपने बच्चों को निजी विद्यालयों में भेजने के लिए मजबूर किया, जो दो वक्त का खाना तक नहीं जुटा सकते।

मुख्य न्यायाधीश प्रसन्ना बी. वराले और न्यायमूर्ति कृष्णा एस दीक्षित की पीठ ने कहा कि क्या शिक्षा सिर्फ विशेषाधिकार वाले बच्चों के लिए आरक्षित है। पीठ ने मीडिया की खबरों के आधार पर 2013 में कोर्ट में दाखिल की गई एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह सवाल किया। कहा कि सरकारी विद्यालयों में शौचालयों की कमी और पीने के पानी की सुविधाओं से संबंधित खामियां 2013 में सामने लाई गई थीं, लेकिन इन कमियों को दूर करने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की गई।

464 सरकारी स्कूलों में शौचालयों की है कमी
कहा गया कि अभी तक 464 सरकारी विद्यालयों में शौचालयों की कमी है और 32 में तो पीने के पानी की सुविधा तक नहीं है। सरकार की निष्कि्रयता पर नाखुशी जाहिर करते हुए कोर्ट ने आठ सप्ताह के भीतर सभी विद्यालयों में मुहैया कराई जा रही बुनियादी सुविधाओं पर एक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है।

गरीबों के लिए राज्य सरकार की मुफ्त योजनाओं का संदर्भ देते हुए सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने कहा कि उन्हें इस तरह की योजनाओं से कोई परेशानी नहीं है, लेकिन जिन विद्यालयों में गरीब छात्र पढ़ते हैं वहां आवश्यक और बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराना सर्वोपरि होना चाहिए। शिक्षा एक मौलिक अधिकार है। लेकिन सरकार सरकारी विद्यालयों में सुविधाएं मुहैया कराने में विफल रही। इस कारण गरीब लोगों को अपने बच्चों को निजी विद्यालयों में भेजने के लिए मजबूर होना पड़ा। इससे अप्रत्यक्ष रूप से निजी विद्यालयों को फायदा पहुंच रहा है।

Leave A Reply

Your email address will not be published.