अल नीनो से भारत के मानसून पर खतरा, सामान्य से कम होगी बारिश, US मौसम विभाग ने दोबारा जारी की चेतावनी
अल नीनो से भारत के मानसून पर खतरा है। इससे सामान्य से कम बारिश होगी। यह जून से अगस्त के बीच सक्रिय हो सकता है।
अमेरिका की मौसम विभाग राष्ट्रीय महासागरीय और वायुमंडलीय प्रशासन (एनओएए) ने भारत को दोबारा चेताते हुए यह रिपोर्ट जारी की है।
रिपोर्ट में इस अवधि के दौरान अल नीनो की स्थिति बनने का अनुमान 49 फीसदी और सामान्य स्थिति रहने का अनुमान 47 फीसदी जताया है। एनओएए ने कहा कि भारत में अल नीनो का सीधा असर मानसून की बारिश पर पड़ेगा।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी मौसम एजेंसी की ओर से लगातार दूसरे महीने अल नीनो को लेकर ये अनुमान लगाया गया है। इससे पहले जनवरी में भी एजेंसी की ओर से इसी तरह का अनुमान जताया गया था। हालांकि, जनवरी की रिपोर्ट में जुलाई के बाद अल नीनो की स्थिति बनने की बात कही गई थी।
57 फीसदी सक्रिय होने की संभावना : विशेषज्ञों के मुताबिक, अल नीनो के जुलाई-अगस्त-सितंबर में 57 फीसदी तक सक्रिय होने का अनुमान है। मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक, मानसून के दौरान कैसी स्थिति रहेगी यह तस्वीर अप्रैल-मई के आसपास ही स्पष्ट हो पाएगी।
भारतीय विशेषज्ञ बोले- अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी
भारतीय विशेषज्ञों ने कहा कि मानसून पर अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी। एजेंसी ने अपना यह मॉडल अनुमान जनवरी की स्थितियों को ध्यान में रखते हुए जाहिर किया है, जबकि बाद के महीनों में काफी कुछ बदल सकता है।
कोट्टायम में इंस्टीट्यूट फॉर क्लाइमेंट चेंज स्टडीज के निदेशक डी शिवानंद पई ने इस रिपोर्ट पर कहा, अगर लगातार दो महीनों तक किसी मॉडल में अल नीनो के संकेत दिए गए हैं तो इसे गंभीरता से लेने की जरूरत है। लेकिन, मानसून को लेकर एक स्पष्ट तस्वीर अप्रैल-मई के महीने में ही उभर सकती है, क्योंकि प्रशांत क्षेत्र में बसंत के मौसम के बाद स्थितियों में बदलाव होता है।
अल नीनो और भारतीय मानसून के बीच एकदम उलटा रिश्ता
पई ने कहा, अल नीनो और भारतीय मानसून में एकदम उलटा रिश्ता है। अगर किसी साल अल नीनो की स्थिति बनती है, तो उस साल मानसूनी बारिश सामान्य से कम होगी, लेकिन इन दोनों के बीच ये आमने-सामने का रिश्ता नहीं है। हिंद महासागर की स्थितियां, यूरेशियन में छाने वाली बर्फ की चादर और आंतरिक मौसम का अंतर जैसे कई कारण भारत में मानसून की बारिश पर असर डालते हैं।
क्या है अल नीनो?
अल नीनो जलवायु प्रणाली का एक हिस्सा है। यह मौसम पर बहुत गहरा असर डालता है। अल नीनो की स्थिति आमतौर पर हर तीन से छह साल में बनती है। पूर्व और मध्य भूमध्यरेखीय प्रशांत क्षेत्र में जब महासागर की सतह का पानी असामान्य रूप से गर्म होता है, तो इसे अल नीनो की स्थिति कहा जाता है। अल नीनो की स्थिति में हवा के तरीके में बदलाव आता है और इसकी वजह से दुनिया के कई हिस्सों में मौसम पर असर पड़ता है।