‘भारत से काफी हद तक उसकी संस्कृति छीनी जा चुकी है’, ट्रंप के आने से पहले अमेरिकी राजदूत ने ये क्या कह दिया?

0 10

भारत में अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने भारत और अमेरिका के बीच घनिष्ठ संबंधों में दोनों देशों की जनता के बीच संपर्क को आधार बताया है।

हालांकि उन्होंने जल्द ही सत्ता संभालने वाली डोनाल्ड ट्रंप की सरकार की आव्रजन नीति को लेकर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि आप भूतकाल को जाने बिना भविष्य नहीं रच सकते। अमेरिका मानता है कि भारत से भारतीय संस्कृति बहुत हद तक छीन ली गई है। कुछ मामलों में तो भारत से चुराई गई है।

संबंधों को मजबूत बनाने की जरूरत
पदमुक्त हो रहे बाइडन प्रशासन में राजदूत गार्सेटी ने सोमवार को एक कार्यक्रम में कहा कि लगातार दूसरे साल 2024 में भारतीयों को 10 लाख से अधिक गैर-आव्रजक वीजा जारी किए गए हैं। फ‌र्स्ट टाइम वीजा को छोड़ बाकी सभी वीजा का वेटिंग टाइम कम कर दिया गया है।

अमेरिकी राजदूत ने बिना कोई और जिक्र किए कहा कि नफरत करने वालों को गलत साबित करने की जरूरत है। इसीलिए दोनों देशों के लोगों के बीच संबंध और प्रगाढ़ करने की जरूरत है।

भविष्य में क्या होगा… हमें नहीं पता
उन्होंने कहा कि हमें नहीं पता कि भविष्य में क्या होने वाला है। लेकिन मैं अपने साथी अमेरिकियों से कहूंगा कि हम अधिकाधिक भारतीयों से अधिकाधिक तरीकों से संपर्क बना सकें वह उतना अच्छा होगा। हम अमेरिका और भारत के बीच आर्थिक व शैक्षणिक आदान-प्रदान के जरिये संबंधों को और प्रगाढ़ कर सकते हैं।

उन्होंने कहा कि नफरत करने वालों को गलत साबित करते हुए हम ट्वीट के बजाए मिलें, प्रदर्शन करने के बजाय निवेश करें और आपत्ति जताने के बजाय कनेक्ट करें।

कल्चरल प्रॉपर्टी एग्रीमेंट की सराहना
गार्सेटी ने कहा कि मुझे गर्व है कि राजदूत बनने के बाद से भारत अमेरिका में उच्च शिक्षा के छात्रों का नंबर एक स्रोत बन गया है। उन्होंने यूएस-इंडिया कल्चरल प्रॉपर्टी एग्रीमेंट की सराहना भी की और सांस्कृतिक आदान-प्रदान और सांस्कृतिक संरक्षण के लिए अमेरिका की प्रतिबद्धता को दोहराया।

गार्सेटी ने कहा कि इस तरह के समझौते सांस्कृतिक संपत्ति के अवैध व्यापार को रोकते हैं। इसके माध्यम से लूटी और चुराई गई प्राचीन वस्तुओं को मूल देश वापस लाने में भी मदद मिलती है। 2016 से अमेरिका ने 578 अमूल्य सांस्कृतिक कलाकृतियों को भारत में वापस लाने में मदद की है।

Leave A Reply

Your email address will not be published.