Israel Hamas War: ‘फलस्तीनियों की मदद के लिए…’, UN में भारत ने युद्धविराम का किया स्वागत, बताया युद्ध का क्या है हल

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इजरायल-हमास के बीच युद्ध विराम जारी है। भारत समेत पूरी दुनिया इस युद्धविराम पर खुशी जाहिर कर रही। इजरायल और हमास, दोनों ओर से बंधकों की रिहाई का दौर भी जारी है।

संयुक्त राष्ट्र में भी भारत ने इस युद्धविराम का स्वागत किया है। वहीं, उन्होंने इस बात को भी दोहराया कि भारत हमेशा आतंकवाद के साथ खड़ा रहेगा।

संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने इस बात को दोहराया है भारत फलस्तीनी लोगों के समर्थन में खड़ा है। वहीं, युद्ध की वजह से मारे जा रहे निर्दोष नागरिकों पर भारत ने चिंता जाहिर की है। बता दें कि 29 नवंबर को संयुक्त राष्ट्र में फलीस्तीन लोगों के समर्थन में अंतरराष्ट्रीय एकजुटता दिवस मनाया गया।

गाजा में भारत लगातार राहत सामग्री भेज रहा है:रुचिरा कंबोज
इस मौके पर कंबोज ने कहा,”दुनिया 29 नवंबर को फलस्तीनी लोगों के साथ अंतरराष्ट्रीय एकजुटता दिवस मना रही है। हम (भारत) भी लगातार राहत सामग्री भेज रहे हैं। वहीं, कंबोज ने आगे कहा कि भारत इस बात पर जोर दे रहा है फलस्तीनी लोगों तक लगातार मदद पहुंचनी चाहिए।

उन्होंने आगे कहा,” फलस्तीनी लोगों की मदद के लिए भारत ने 70 टन मानवीय सामान गाजा भेजा है, जिसमें 16.5 टन दवाएं और चिकित्सा आपूर्ति शामिल हैं।

“हमारी संवेदनाएं उन लोगों के साथ हैं जिन्हें बंधक बनाया गया:रुचिरा कंबोज
कंबोज ने आगे गाजा में बंधक बनाए गए बंधकों के लिए चिंता व्यक्त करते हुए कहा, “हमारी संवेदनाएं उन लोगों के साथ हैं जिन्हें बंधक बनाया गया है ।”

कंबोज ने आगे जोर देकर कहा कि भारत अपनी द्विपक्षीय विकास साझेदारी के माध्यम से फिलिस्तीनी लोगों का समर्थन करना जारी रखेगा, वह भारत गाजा में फलस्तीनी लोगों के लिए मानवीय सहायता भी भेजना जारी रखेगा।

‘टू स्टेट सॉल्यूशन की वकालत करता है भारत’
रुचिरा कंबोज ने संयुक्त राष्ट्र में इस बात को एक फिर दोहराया कि पीएम नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस जयशंकर लगातार इजरायली और फलस्तीनी के राजनेताओं के साथ संपर्क में हैं। भारत की कोशिश है कि दोनों क्षेत्रों के नेताओं के बीच ‘टू स्टेट सॉल्यूशन’ के जरिए विवाद का समाधान निकले।

(भारत और इजरायल के विदेश मंत्री की तस्वीर)

दरअसल, इस टू स्टेट सॉल्यूशन में इजरायल के साथ-साथ एक स्वतंत्र फिलिस्तीनी राज्य (देश) की स्थापना की अवधारणा की बात की गई है यानी दो अलग समुदायों के लोगों के लिये दो अलग देशों की स्थापना हो।

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