यूएन की रिपोर्ट में दावा: मौजूदा संकट कुछ भी नहीं, पाकिस्तान में आने वाले महीनों में और बढ़ेगी खाद्य असुरक्षा

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पाकिस्तान में आर्थिक संकट के साथ सियासी संकट भी गहराता जा रहा है। हालांकि, इसकी सबसे ज्यादा मार देश के गरीब और मध्यम वर्ग पर पड़ रही है।

आलम यह है कि पाकिस्तान में आए दिन आटे की बोरियों और राशन के लिए लोगों को लड़ते और मारपीट करते देखा गया है। वहीं, रोजमर्रा की जरूरत की कई अहम चीजों के दाम अन्य देशों से कई गुना ज्यादा हैं। इस बीच संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट ने पाकिस्तान को लेकर चिंता और बढ़ा दी है। इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पाकिस्तान का मौजूदा खाद्य संकट आने वाले महीनों में और ज्यादा गहरा सकता है।

यूएन की रिपोर्ट का शीर्षक है- ‘हंगर हॉटस्पॉट्स: एफएओ-डब्ल्यूएफपी अर्ली वॉर्निंग ऑन सीवियर फूड इनसिक्योरिटी।’ इस रिपोर्ट में उन देशों को लेकर चेतावनी जारी की गई है, जहां आने वाले दिनों में खाद्य सामग्री की भारी किल्लत होने की संभावना है। इस रिपोर्ट को फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गनाइजेशन (एफएओ) और यूएन की संस्था वर्ल्ड फूड प्रोग्राम (डब्ल्यूएफपी) की तरफ से तैयार किया गया है। इस रिपोर्ट में अलग-अलग देशों को जून से नवंबर तक के हालात के लिए सतर्क रहने को कहा गया है।

रिपोर्ट के मुताबिक, पहले से ही वैश्विक स्तर पर आए आर्थिक संकट और देश पर बढ़ते कर्ज के चलते पाकिस्तान एक आर्थिक संकट के बीच में है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान सरकार को अप्रैल 2023 से लेकर जून 2026 तक 77.5 अरब डॉलर (करीब 21 लाख 83 हजार करोड़ पाकिस्तानी रुपये) के बराबर विदेशी कर्ज चुकाना है। यह आंकड़ा डराने वाला इसलिए भी है, क्योंकि पाकिस्तान की कुल जीडीपी ही 350 अरब डॉलर (करीब 98 लाख 62 हजार करोड़ पाकिस्तानी रुपये) की है।

यूएन ने बताया क्यों मुश्किल में है पाकिस्तान
यूएन की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पाकिस्तान में बढ़ती राजनीतिक अस्थिरता और सुधारों में पिछड़ने की वजह से अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने भी उसके लिए नया कर्ज आवंटन रोका है। साथ ही उसके साथी देश भी उसकी मदद करने से हिचक रहे हैं। इसी रिपोर्ट में कहा गया है कि यह राजनीतिक और आर्थिक संकट अक्तूबर 2023 में होने वाले चुनाव तक जारी रह सकते हैं। इस दौरान विदेशी मुद्रा की कमी और पाकिस्तानी रुपये के मूल्य में आ रही गिरावट से पाकिस्तान की खाद्य पदार्थों को खरीदने की क्षमता भी कम होती जाएगी और इनके दाम लगातार आसमान छूते जाएंगे। इतना ही नहीं देश को ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में भी मुश्किल होगी, जिससे बिजली कटौती को रोकना नामुमकिन हो जाएगा।

रिपोर्ट के मुताबिक, सितंबर से दिसंबर 2023 के बीच पाकिस्तान के करीब 85 लाख लोग भीषण खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे होंगे। आने वाले समय में खाद्य सुरक्षा के साथ कुपोषण में भी गंभीर बढ़ोतरी और पाकिस्तान के लगातार बिगड़ते आर्थिक हालात से परिवारों की खरीद क्षमता पर नकारात्मक प्रभाव पडे़गा। इससे उनके लिए खाने के जरूरी सामान और अन्य अहम चीजें जुटाना मुश्किल होता जाएगा।

कई देशों में खाद्य संकट गहराने का अनुमान
यूएन की दोनों एजेंसियों ने पाकिस्तान के साथ-साथ 22 देशों में 81 ऐसे भुखमरी प्रभावित क्षेत्रों को लेकर चेतावनी जारी की है, जहां जून से नवंबर 2023 के बीच खाद्य संकट से स्थितियां और बिगड़ सकती हैं। इनमें अफगानिस्तान, नाइजीरिया, सोमालिया, दक्षिण सूडान और यमन सरीखे देश सबसे ज्यादा संकट वाले देशों में शामिल किए गए हैं। दूसरी तरफ पाकिस्तान, सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक, इथियोपिया, केन्या, कॉन्गो और सीरिया को खाद्य संकट के मामले में उच्च-जोखिम वाले देशों की श्रेणी में रखा गया है।

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