मनरेगा कोष के ‘गबन’ मामले में ईडी ने पश्चिम बंगाल में कई जगहों पर छापेमारी की

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प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) कोष के कथित गबन की जांच के सिलसिले में मंगलवार को पश्चिम बंगाल में कई स्थानों पर एक साथ छापेमारी की. अधिकारियों ने यह जानकारी दी.

अधिकारियों ने बताया कि जिन स्थानों पर छापे मारे गए, उनमें राज्य के अधिकारियों के आवास भी शामिल हैं. राज्य में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने छापेमारी को ‘प्रतिशोध की राजनीति’ और राज्य के बकाये के भुगतान की मांग को लेकर टीएमसी के जारी धरने से ध्यान भटकाने के लिए भाजपा की ‘हताशा भरी चाल’ बताया. वहीं, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कहा कि ईडी जैसी केंद्रीय एजेंसियां स्वतंत्र रूप से काम करती हैं, लेकिन वह कार्रवाई का स्वागत करती है.

अधिकारियों ने बताया कि ईडी साल्ट लेक के आईए ब्लॉक में पश्चिम बंगाल सिविल सेवा (डब्ल्यूबीसीएस) के एक अधिकारी के आवास पर छापेमारी कर रही है. उन्होंने बताया कि अधिकारी पहले हुगली जिले के धनियाखाली में खंड विकास अधिकारी के रूप में तैनात थे.

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के एक अधिकारी ने बताया कि जब वे अधिकारी के आवास पहुंचे, तो वह वहां मौजूद नहीं थे. उन्होंने कहा, ‘‘हम यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि वह कहां हैं.” अधिकारियों ने बताया कि झाड़ग्राम जिले में डब्ल्यूबीसीएस के एक अधिकारी के सरकारी आवास पर भी छापेमारी की कार्रवाई की जा रही है. उन्होंने बताया कि केंद्रीय एजेंसी के अधिकारी छापेमारी के अलावा डब्ल्यूबीसीएस के अधिकारी से पूछताछ भी कर रहे हैं.

उन्होंने बताया कि मुर्शिदाबाद जिले के बहरामपुर में भी राज्य सरकार के एक कर्मचारी से जुड़ी संपत्ति की तलाशी ली जा रही है. यह कर्मचारी पंचायत विभाग में तैनात है. एक अधिकारी ने बताया, ‘‘कर्मचारी की बहन के खाते में 4.5 करोड़ रुपये की रकम का पता चला है. यह धन मनरेगा कोष का होने का संदेह है.”

उन्होंने दावा किया कि ‘‘अनियमितताओं” में संलिप्तता के सबूत मिलने के बाद छापेमारी की कार्रवाई की जा रही है. अधिकारियों ने कहा कि कथित अनियमितताएं राज्य में मनरेगा के तहत जारी किए गए लगभग 25 लाख ‘‘फर्जी” रोजगार कार्ड से संबंधित हैं.

छापेमारी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, टीएमसी की वरिष्ठ नेता शशि पांजा ने कहा, ‘यह राज्य के बकाया की मांग को लेकर टीएमसी के जारी धरने से जनता और मीडिया का ध्यान हटाने का एक प्रयास है. यह प्रतिशोध की राजनीति का एक स्पष्ट उदाहरण है.’

हालांकि, पश्चिम बंगाल भाजपा ने इन आरोपों को ‘निराधार’ बताते हुए खारिज कर दिया. भाजपा नेता समिक भट्टाचार्य ने कहा, ‘वास्तविकता यह है कि टीएमसी भ्रष्टाचार में आकंठ डूबी हुई है, लगभग हर नेता भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रहा है.’

विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने संवाददाताओं से कहा, ‘ईडी का हस्तक्षेप तब हुआ, जब राज्य पुलिस फर्जी जॉब कार्ड जारी करने के मामले में कुछ जिला अधिकारियों और पंचायत सदस्यों के खिलाफ दर्ज 100 से अधिक प्राथमिकी पर एक भी आरोपपत्र दाखिल करने में विफल रही. अब, हर गलत काम करने वाले को न्याय के कटघरे में लाने के लिए जांच का दायरा बढ़ाया गया है.”

नंदीग्राम के भाजपा विधायक ने आरोप लगाया, ”हमारी जानकारी के अनुसार, बड़ी संख्या में बीडीओ, मनरेगा पर्यवेक्षक और टीएमसी पंचायत सदस्य शामिल हैं.”

टीएमसी के इस आरोप पर कि छापे अधिकारी द्वारा ‘रचे’ गए हैं, उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री ने कल जो कहा था, मैं उसे दोहराता हूं… ईडी जैसी केंद्रीय एजेंसियां स्वतंत्र रूप से काम करती हैं. उन्होंने धनशोधन रोकथाम अधिनियम के तहत जांच की. इस पर हमारा कोई नियंत्रण नहीं है, लेकिन हम चाहते हैं कि सभी चोरों को सज़ा मिले.”

टीएमसी के वरिष्ठ नेता पार्थ चटर्जी, ज्योतिप्रिय मलिक और अणुव्रत मंडल को केंद्रीय एजेंसियों ने भ्रष्टाचार के विभिन्न मामलों में गिरफ्तार किया है. हाल ही में केंद्रीय एजेंसियों ने नगर पालिकाओं में भर्ती के सिलसिले में खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री रतिन घोष और शहरी विकास मंत्री फिरहाद हकीम के आवासों सहित विभिन्न स्थानों पर छापे मारे थे.

केंद्र द्वारा पश्चिम बंगाल के बकाये को तत्काल मंजूरी देने की मांग पर दबाव बनाने के लिए टीएमसी मध्य कोलकाता के रेड रोड इलाके में डॉ. बी आर आंबेडकर की मूर्ति के पास धरना दे रही है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 2 और 3 फरवरी को धरने में हिस्सा लिया, जबकि पार्टी के अन्य सदस्य 13 फरवरी तक इसे जारी रखेंगे.

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