लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2024) के तीसरे चरण में कुल 1,352 उम्मीदवारों में सिर्फ नौ प्रतिशत महिलाएं हैं, जबकि 18 प्रतिशत उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं.
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने एक नयी रिपोर्ट में यह जानकारी दी है. एडीआर और ‘द नेशनल इलेक्शन वाच’ के विश्लेषण के अनुसार, तीसरे चरण के उम्मीदवारों में सात ने पूर्व में खुद को दोषी करार दिये जाने की भी जानकारी की है.
लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण में, मतदान सात मई को होना है. एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक, आपराधिक रिकॉर्ड वाले 244 उम्मीदवारों में से पांच पर हत्या से जुड़े आरोप हैं जबकि 24 पर हत्या के प्रयास के मामले दर्ज हैं.
इसके अलावा, 38 उम्मीदवारों पर महिलाओं के खिलाफ अपराध में शामिल रहने तथा 17 पर नफरत फैलाने वाले भाषण देने के मामले दर्ज हैं. रिपोर्ट में, कुल 1,352 उम्मीदवारों के चुनावी शपथ पत्रों पर आधारित विश्लेषण के जरिये, उनके अपराधिक कृत्यों में संलिप्त रहने और धन संचय करने की प्रवृत्ति को रेखांकित किया गया है.
प्रमुख राजनीतिक दलों में आपराधिक मामलों की व्यापकता में भी काफी भिन्नता है. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), कांग्रेस और समाजवादी पार्टी (सपा) जैसे प्रमुख राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों की संख्या में काफी भिन्नता है. रिपोर्ट में उम्मीदवारों की वित्तीय पृष्ठभूमि में असमानता को भी रेखांकित किया गया है. इसमें खुलासा किया गया है कि 29 प्रतिशत या 392 उम्मीदवार ‘करोड़पति’ हैं और प्रति उम्मीदवार औसत संपत्ति 5.66 करोड़ रुपये है.
घोषित संपत्ति के मामले में शीर्ष तीन उम्मीदवारों के पास करोड़ों रुपये की संपत्ति है, जिसमें सबसे अधिक घोषित संपत्ति 1,361 करोड़ रुपये से अधिक की है. नामांकन पत्र और शपथ पत्र दाखिल करने के बाद, इंदौर से कांग्रेस उम्मीदवार ने अपना नामांकन वापस ले लिया. एडीआर का विश्लेषण उम्मीदवारों की शैक्षणिक और जनसांख्यिकीय पृष्ठभूमि को भी रेखांकित करता है.
इसकी रिपोर्ट के अनुसार, 47 प्रतिशत या 639 उम्मीदवारों के पास पांचवीं कक्षा से 12वीं कक्षा तक की शैक्षणिक योग्यता है, जबकि 44 प्रतिशत या 591 उम्मीदवार स्नातक हैं या उच्च शैक्षणिक योग्यता रखते हैं. आयु के लिहाज से, 30 प्रतिशत या 411 उम्मीदवार 25-40 वर्ष की श्रेणी में हैं जबकि 53 प्रतिशत या 712 उम्मीदवार 41 से 60 वर्ष के बीच के हैं. रिपोर्ट में उम्मीदवारों के चयन में लैंगिक असमानता को भी रेखांकित किया गया है, जिसमें तीसरे चरण में केवल 123 महिलाएं (नौ प्रतिशत) चुनाव लड़ रही हैं.