कोरोना संक्रमण गर्भवती महिलाओं के भ्रूण और गर्भनाल के लिए घातक साबित हो सकता है।
‘द लैंसेट रीजनल हेल्थ यूरोप’ पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन में यह दावा किया गया है। अध्ययन के मुताबिक, संक्रमण से बच्चे के अंगों और मस्तिष्क का विकास भी प्रभावित हो सकता है।
शोध में मिले निष्कर्षों से पता चला कि महामारी के दौरान कोरोना वायरस के अलग-अलग वेरिएंट से कई स्तर पर नुकसान हुआ। इस तरह के मामलों की संख्या प्री-ओमिक्रॉन वेरिएंट से अधिक थी। अध्ययन में कहा गया कि संक्रमण से गर्भाश्य के ऊपरी हिस्से में प्रभाव पड़ता है। यह अजन्मे बच्चे के विकास और स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकता है।
सामान्य स्प्रे से दूर होगी बच्चों में सांस लेने की तकलीफ
नाक से दी जाने वाली साधारण स्प्रे से बच्चों में खर्राटे और सांस लेने में कठिनाई को कम किया जा सकता है। हाल ही में 276 बच्चों पर किए गए एक अध्ययन में यह बात सामने आई है। इस दौरान लगभग 40% बच्चों को नाक में स्प्रे करने के बाद खर्राटों और तेज आवाज के लक्षणों में कमी आई। अध्ययन में शामिल बच्चों की उम्र 3 से 12 वर्ष थी। बच्चों पर हुए नेजल स्प्रे के परीक्षण को द रॉयल चिल्ड्रन हॉस्पिटल और मोनाश चिल्ड्रन हॉस्पिटल में किया गया।
रिपोर्ट : एशिया में बढ़ती आबादी के कारण खाद्य सुरक्षा संकट बढ़ा
खाद्य और कृषि संगठन और संयुक्त राष्ट्र की अन्य एजेंसियों की मंगलवार को जारी खाद्य मूल्य सूचकांक (एफएओ) की रिपोर्ट के अनुसार, एशिया में बढ़ती आबादी के कारण खाद्य सुरक्षा पर संकट बढ़ा है। एशिया के लगभग आधा अरब से अधिक लोग खाद्य संकट के चलते 2021 में कुपोषण का शिकार थे। इसमें दक्षिण एशिया की 10 में से 8% आबादी प्रभावित हुई। दुनिया के लिए खाद्य असुरक्षा 2014 में 21% से बढ़कर 2021 में 29से अधिक हो गई।