अपनी नई दिल्ली यात्रा के दौरान 22 जून, 2024 को पूर्व पीएम शेख हसीना ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ द्विपक्षीय बैठक में तीस्ता नदी जल प्रबंधन का काम भारत को देने का वादा किया था।
दोनों नेताओ में सहमति बनी थी कि जल्द ही एक भारतीय टीम ढाका का दौरा करेगी जो तीस्ता जल प्रबंधन की भावी योजना की रूपरेखा तैयार करेगी।
चीन- बांग्लादेश ने नौ समझौतों पर हस्ताक्षर किए
अब बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस ने चीन की कंपनियों को भारत के लिए बेहद संवेदनशील इस नदी परियोजना का काम देने का वादा किया है। यूनुस ने शुक्रवार को चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के साथ बैठक की। इसमें नौ समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए। कुछ समझौते भारत के हितों को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं।
मोंगला पोर्ट को अत्याधुनिक बनाने का स्वागत
सिर्फ तीस्ता जल प्रबंधन का ही नहीं बल्कि मोंगला बंदरगाह को विकसित करने के लिए भारत के साथ पूर्व आवामी लीग की सरकार के कार्यकाल में बनी सहमति को भी रद करने की मंशा यूनुस ने दिखा दी है।
यूनुस और चिनफिंग के बीच बैठक के बाद जारी संयुक्त बयान में बांग्लादेश ने चीन को अपनी मोंगला पोर्ट को अत्याधुनिक बनाने व विकसित करने के लिए स्वागत किया है। चीन की इस पर लंबे अरसे से नजर थी। चीन के भारी दबाव को दरकिनार कर हसीना सरकार ने जुलाई, 2024 में इसमें एक टर्मिनल को विकसित करने का अधिकार भारत को दे दिया था।
चट्टोग्राम में चीन की तरफ से एक विशेष आर्थिक क्षेत्र बनेगा
इसी तरह से यूनुस सरकार ने एलान किया है कि वह चट्टोग्राम में चीन की तरफ से एक विशेष आर्थिक क्षेत्र का गठन किया जाएगा। यह भारत के रणनीतिक हितों के लिए एक बहुत ही बड़ी चुनौती होगी।
अभी तक भारत चीन की भावी चुनौतियों से अपने पूर्वोत्तर क्षेत्र को बचाने के लिए बांग्लादेश के साथ सहयोग कर रहा था। लेकिन अब यूनुस सरकार ने पूर्वोत्तर राज्यों से सटे सबसे करीबी बंदरगाह चट्टोग्राम के पास चीन को बसाने का इंतजाम करने की मंशा जता दी है।
बांग्लादेश से इलाज के लिए भारत आते हैं लोग
बांग्लादेश से बहुत सारे बीमार लोग भारत इलाज के लिए आते हैं। पीएम मोदी ने पिछले वर्ष इलाज के लिए बांग्लादेशी नागरिकों को आसानी से वीजा देने और सीमा पर ही विशेष चिकित्सा केंद्र स्थापित करने की बात कही थी। भारत के इस आकर्षण को काटने के लिए चीन ने अपने यूनान प्रांत में बांग्लादेशी नागरिकों को चिकित्सा सुविधा देने की बात कही है।
यूनुस सरकार ने इसका स्वागत किया है, लेकिन भारत को जो एमओयू सबसे ज्यादा चुभने वाला है वह होगा तीस्ता नदी के जल प्रबंधन का ठेका चीन को मिलने को लेकर होगा। तीस्ता नदी भारतीय राज्य सिक्किम व बंगाल होते हुए बांग्लादेश में प्रवेश करती है।
हसीना सरकार ने तीन वर्ष पहले बनाई थी योजना
हसीना सरकार ने तीन वर्ष पहले इसकी सफाई करने और इसका पुराना स्वरूप लाने की योजना बनाई थी। इस पर तकरीबन एक अरब डालर (मौजूदा कीमत में 8300 करोड़ रुपये) की लागत आने की संभावना है। चीन ने अपनी लागत से इसे प्रोजेक्ट को पूरा करने का प्रस्ताव रखा था।
चीन को इस काम का ठेका मिलने का मतलब है कि इस नदी का सारा विवरण (जैसे जल प्रवाह, जल क्षेत्र, खनिज-लवण का ब्योरा आदि) उसके पास चला जाता। चीन के साथ अपने रिश्तों की संवेदनशीलता व तीस्ता नदी की अहमियत को देखते भारत ऐसा नहीं चाहता था।
हसीना ने भारत से किया था वादा
हसीना ने जून, 2024 में भारत को इसका ठेका देने का वादा करने के बाद जुलाई, 2024 में बीजिंग गई थीं। चीन सरकार ने उनको ज्यादा तवज्जो नहीं दी थी। हसीना को निर्धारित समय से पहले ही ढाका लौटना पड़ा था। इसके एक महीने बाद ही उनका तख्तापलट हो गया था।
बांग्लादेश में विशेष चीनी औद्योगिक आर्थिक क्षेत्र के विकास में मदद करेगा चीन
प्रेट्र के अनुसार चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने कहा कि चीन बांग्लादेश में एक विशेष चीनी औद्योगिक आर्थिक क्षेत्र और औद्योगिक पार्क के निर्माण में मदद करेगा। सरकारी समाचार एजेंसी बीएसएस के अनुसार चीनी राष्ट्रपति ने चीन में और अधिक बांग्लादेशी उत्पादों के आने तथा अरबों डालर की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआइ) परियोजनाओं, साथ ही डिजिटल और समुद्री अर्थव्यवस्था में सहयोग का भी स्वागत किया।
बीआरआइ कनेक्टिविटी परियोजना है जो चीन को दक्षिण-पूर्व एशिया, मध्य एशिया, रूस और यूरोप से जोड़ेगी। बैठक के दौरान शी ने यह भी कहा कि उनकी सरकार अधिक चीनी निजी निवेश को प्रोत्साहित करेगी तथा चीनी विनिर्माण संयंत्रों को बांग्लादेश में स्थानांतरित करेगी।
बीजिंग का लक्ष्य ढाका के साथ मुक्त व्यापार समझौता
उन्होंने बांग्लादेश को चीन का ”महत्वपूर्ण पड़ोसी” बताया तथा इसके तीव्र विकास में सहयोग बढ़ाने की पेशकश की।शी ने घोषणा की कि चीन बांग्लादेशी वस्तुओं को शून्य-टैरिफ लाभ देना जारी रखेगा, तथा यह दर्जा 2028 के अंत तक बढ़ा दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि बीजिंग का लक्ष्य ढाका के साथ मुक्त व्यापार समझौते और निवेश समझौते पर बातचीत शुरू करना है ताकि यहां अधिक चीनी निवेश का मार्ग प्रशस्त हो सके।