अमेरिका ने सरेआम फांसी की निंदा की, कहा- तालिबान वादों को पूरा करने में विफल

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अमेरिका ने अफगानिस्तान में कट्टरपंथी इस्लामिक समूह द्वारा लोगों को सार्वजनिक रूप से पीटने और सरेआम मौत की सजा दिए जाने की खबरों के सामने आने के बाद तालिबान सरकार की आलोचना की है.

अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि ये घटनाएं दर्शाती हैं कि तालिबान 1990 के दशक की अपनी पुरानी प्रथाओं की वापसी चाहता है।

नेड प्राइस ने कहा कि हमने रिपोर्ट्स देखी हैं कि तालिबान ने न्यायाधीशों को शरिया कानून को लागू करने का आदेश दिया है। इसमें सार्वजनिक फांसी और कोड़े मारना शामिल है। हमने आज सार्वजनिक तौर पर फांसी दिए जाने की रिपोर्ट देखी है। ऑनलाइन प्रसारित किए जा रहे वीडियो पर प्राइस ने कहा कि यह सभी अफगान नागरिकों की गरिमा और मानवाधिकारों का अपमान है। साथ ही यह तालिबान द्वारा अपने वादों को पूरा करने में स्पष्ट विफलता है।

बता दें, तालिबान के अधिकारियों ने बुधवार को एक व्यक्ति की हत्या के दोषी अफगानिस्तानी नागरिक को सार्वजनिक रूप से फांसी दे दी थी। तालिबान प्रवक्ता ने बताया था कि पिछले साल अफगानिस्तान पर पूर्व विद्रोहियों के कब्जे के बाद से यह पहली सार्वजनिक फांसी हुई है। पश्चिमी फराह प्रांत में सैकड़ों नागरिकों और तालिबान के कई शीर्ष अधिकारियों के सामने दोषी को फांसी पर लटकाया गया। फांसी की इस घोषणा के साथ अफगानिस्तान के नए शासकों ने अगस्त 2021 में देश पर कब्जा करने के बाद से लागू की गई सख्त नीतियों को जारी रखने और इस्लामी कानून (शरिया) पर टिके रहने के इरादे जाहिर कर दिए।

पुराने शासन में मिलीं ऐसी कई सजाएं
1990 के दशक के अंत में देश के पिछले तालिबान शासन के दौरान तालिबानी अदालतों में किसी भी अपराध के दोषी को सार्वजनिक रूप से फांसी देना, कोड़े मारना और पत्थर मारकर हत्या करने जैसी सजाओं को अंजाम दिया गया था। चोरी, व्यभिचार या घर से भागने के आरोपी कई पुरुषों और महिलाओं को दंडित करते हुए विभिन्न प्रांतों में सार्वजनिक रूप से कोड़े मारने की घटनाए हुई थीं। 2021 में अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद से तालिबान ने यह पहली कार्रवाई की है।

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