केदारघाटी में रेस्क्यू पूरा, आज से हेली सेवा से शुरू होगी धाम की यात्रा; यात्रियों को किराये में मिलेगी छूट

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केदारघाटी में 31 जुलाई को आई आपदा के बाद से केदारनाथ धाम और पैदल मार्ग के पड़ावों पर फंसे सभी तीर्थयात्रियों को सुरक्षित निकाल लिया गया है। मंगलवार को राहत और बचाव कार्य में जुटी विभिन्न एजेंसियों ने 348 यात्रियों को सुरक्षित निकाला। सर्च अभियान के दौरान चार शव भी निकाले गए हैं।

सातवें दिन पूरा हुआ बचाव और राहत कार्य
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि सातवें दिन बचाव और राहत कार्य पूरा हो गया है। अब बुधवार से हेली सेवा के जरिये केदारनाथ यात्रा शुरू की जाएगी। यात्रियों को हेलीकॉप्टर के किराए में 25 प्रतिशत तक की रियायत दी जाएगी। हालांकि, जगह-जगह मार्ग ध्वस्त होने के कारण अभी पैदल यात्रा स्थगित रहेगी।

कई जगहों पर फंसे थे तीर्थयात्री
केदारघाटी में बादल फटने और भूस्खलन के बाद धाम का पैदल रास्ता कई जगह ध्वस्त हो गया था, जिससे तीर्थयात्री केदारनाथ धाम और विभिन्न पड़ावों पर फंस गए थे। सेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, पुलिस और आपदा प्रबंधन विभाग की टीमें तीर्थयात्रियों को निकालने में जुटी रहीं। केंद्र सरकार ने भी चिनूक, एमआई-17 समेत सात हेलीकॉप्टर उपलब्ध कराए थे।

15 हजार से अधिक लोगों को किया गया है रेस्क्यू
मंगलवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अतिवृष्टि से प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण करने पहुंचे। उन्होंने कहा कि भूस्खलन के कारण 29 स्थानों पर पैदल और सड़क मार्ग ध्वस्त हुआ है। इसे दुरुस्त करने का काम चल रहा है, जिससे यात्रा सुचारू हो सके। यह बड़ी उपलब्धि है कि रिकार्ड समय में 15 हजार से अधिक यात्रियों और स्थानीय लोगों को रेस्क्यू किया गया है।

हिमाचल में दो और शव मिले, 37 अभी लापता
दूसरी तरफ हिमाचल प्रदेश के शिमला, कुल्लू और मंडी जिले में 31 जुलाई की रात सात स्थानों पर बादल फटने के बाद बाढ़ आने से लापता दो और लोगों के शव मिले हैं। अतिरिक्त उपायुक्त शिमला अभिषेक वर्मा ने बताया कि प्रदेश में अब तक 18 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 37 अब भी लापता हैं। इस बीच, आठ जिलों में भारी वर्षा के साथ बाढ़ की चेतावनी जारी की गई है। प्रदेश में 53 सड़कें यातायात के लिए बंद हैं।

राजस्थान में बिगड़े हालात, दो दिन में 11 की मौत
राजस्थान में तीन दिनों से लगातार हो रही वर्षा से हालात बिगड़ते जा रहे हैं। प्रदेश के बाड़मेर, जैसलमेर, जोधपुर, बीकानेर व पाली जिलों में रविवार देर रात से शुरू हुई तेज वर्षा का दौर मंगलवार को भी जारी रहा। इससे बाढ़ के हालात उत्पन्न हो गए हैं। इसके चलते विभिन्न हादसों में दो दिनों में 11 लोगों की मौत हुई है।

टोंक जिले का टोरड़ी सागर बांध ओवरफ्लो हो गया है। जोधपुर संभाग में छह ट्रेनों को रद करने के साथ इतनी ही ट्रेनों को डायवर्ट किया गया है। जयपुर मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक राधेश्याम शर्मा ने बताया कि बुधवार से वर्षा से राहत मिलने के आसार हैं।

UP और बिहार में उफान पर नदियां
उप्र में वर्षा और बैराज से छोड़े जा रहे पानी के चलते नदियों का जलस्तर फिर बढ़ने लगा है। गंगा और यमुना में तेजी से जलस्तर बढ़ रहा है, वहीं सरयू भी फिर डराने लगी है। बुंदेलखंड में केन नदी का जलस्तर खतरे के निशान को पार चुका है। पटना में भी गंगा नदी मंगलवार को खतरे के निशान को पार कर गई। बागमती, झीम नदी और लखनदेई नदी में भी जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है।

किसी ने नहीं ली सुध तो ग्रामीणों ने स्वयं बनाए लकड़ी के पुल
कुल्लू जिले के तोष में बादल फटने से तोष गांव को जोड़ने वाला पुल बाढ़ में बह गया था। इसके बाद लोगों ने न तो सरकार का मुंह ताका और न ही कोई शिकायत की। ग्रामीण स्वयं ही कार्य में जुटे रहे और आने-जाने के लिए लकड़ी का पुल तैयार कर लिया।

इसी तरह तिऊन में भी गांव के लोगों को सड़क से जोड़ने वाले सलावरी पुल बाढ़ की भेंट चढ़ गया था, जिससे लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था। लोगों ने बताया कि पिछले वर्ष भी बाढ़ से गांव को जोड़ने वाला पुल बह गया, लेकिन किसी ने सुध नहीं ली। ऐसे में गांव के लोगों ने नदी पर लकड़ी का बैली ब्रिज तैयार किया था, लेकिन वह भी इस वर्ष बाढ़ की भेंट चढ़ गया है। ऐसे में अब फिर से लोग लकड़ी का पुल तैयार कर रहे हैं।

एसडीएम कुल्लू विकास शुक्ला ने बताया कि दोनों जगहों पर प्रशासन की ओर से पक्के पुल बनाने के आदेश जारी कर दिए हैं। जल्द पुल बनाने का कार्य शुरू करवाया जाएगा।

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