PoK और बलूचिस्तान में आजादी की मांग पर नहीं थम रहा विरोध-प्रदर्शन, पाकिस्तान से त्रस्त लोगों को भारत से उम्मीद
पाकिस्तान (Pakistan) हमेशा से इस डर के साए में जीता है कि दुनिया उसे दिवालिया घोषित न कर दे, लेकिन उससे ज्यादा अब वो इस डर के साए में सांसें ले रहा है कि बलूचिस्तान (Baluchistan) और पाक अधिकृत कश्मीर (Pakistan Occupied Kashmir) में आजादी की मांग क्या शक्ल लेगी.
पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर दाने-दाने के लिए तड़प रहा है और यही कारण है कि वहां के लोग पाकिस्तान से आजाद होना चाहते हैं. उधर बलूचिस्तान में भी आजादी के नारे गूंज रहे हैं. बलूचिस्तान हो या पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर जब लोग दाने-दाने को मोहताज हो गए तो उन्होंने पाकिस्तान की सरकार के खिलाफ विरोध का झंडा बुलंद कर दिया. इस वक्त जब लोग वहां पाकिस्तानी हुकूमत के अत्याचारों के कारण त्राहिमाम कर रहे हैं, उस वक्त उन्हें भारत दिख रहा है.
पीओके कार्यकर्ता अमजद अयूब मिर्जा ने कहा कि हमें नहीं पता कि क्या हो रहा है. इंटरनेट पूरी तरह से बंद है. हमारे लोग मर रहे हैं, हम बहुत ही बुरे हाल में हैं. हम चाहते हैं कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय आए और हमारा साथ दे. हम चाहते हैं कि संयुक्त राष्ट्र हमारी आवाज उठाए. हम भारत सरकार से भी दरख्वास्त करते हैं कि वो हमारे हाल पर नजर डाले. हमारी जान खतरे में है. हमारे लोगों की जान खतरे में है. मैं जब बात कर रहा हूं तब भी फायरिंग हो रही है.
आजादी के वक्त पाकिस्तान ने भारत के कश्मीर के एक हिस्से पर कब्जा कर लिया था, लेकिन भारत ने उस हिस्से पर से भी अपना हक छोड़ा नहीं है.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एनडीटीवी को दिए एक एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में इस बारे में विस्तार से बताया. उन्होंने कहा, “POK भारत का हिस्सा है, यह सत्य है, इसको कोई झुठला नहीं सकता है. इस पर अधिकार केवल और केवल भारत का है.”
BLF ने भारत से मांगा है समर्थन
बलूचिस्तान के लोगों का दमन कोई नया नहीं है. वहां के लोग इस कदर पाकिस्तानी हुकूमत की बेरहमी से त्रस्त हैं कि बलूचों के सबसे बड़े विद्रोही गुट बलूचिस्तान लिबरेशन फ्रंट यानी बीएलएफ ने आजादी के लिए भारत से समर्थन की मांग की है.
ईरान में शरण लेने वाले बीएलएफ के नेता अल्लाह नजर बलूच ने कहा है कि हम ईरान, अफगानिस्तान, भारत, सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान और यूएई के राष्ट्रपति से बलूचिस्तान की आजादी का समर्थन करने की अपील करते हैं. बलूचिस्तान के लोग लंबे समय से पाकिस्तानी सेना के अत्याचारों से पीड़ित हैं. पाकिस्तानी सेना ने हजारों की संख्या में बलूचों का अपहरण करके हत्या की है.
बलूचिस्तान के लोगों को यह हिम्मत मिली थी, जब आठ साल पहले उनके दर्द और पीड़ा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से आवाज दी थी. पीएम मोदी ने कहा था कि बलूचिस्तान के लोगों ने, गिलगित के लोगों ने, पाक अधिकृत कश्मीर के लोगों ने जिस प्रकार से मुझे बहुत-बहुत धन्यवाद दिया है, वो मेरे देश के सवा सौ भारतीयों का सम्मान है.
चीनी प्रोजेक्ट से नाराज, तिलमिलाई PAK सरकार
बलूचिस्तान के लोग पाकिस्तान की सरकार से इस कदर नाराज हैं कि वो अपने इलाके में चीनी प्रोजेक्ट को फूटी आंख देखना पसंद नहीं कर रहे हैं. हाल ही में बलूचों ने ग्वादर बंदरगाह की तारबंदी के खिलाफ बड़े विरोध प्रदर्शनों को शुरू करने की चेतावनी भी दी थी. इससे पाकिस्तान की सरकार तिलमिलाई हुई है.
हमारा है PoK : संसद ने पारित किया है प्रस्ताव
पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर को लेकर भारत की संसद प्रस्ताव करके यह बता चुकी है कि पीओके हमारा है. इसीलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हों, गृह मंत्री अमित शाह हों या फिर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, सभी ने डंके की चोट पर बार-बार यह कहा है कि पाकिस्तान चाहे जितना जोर लगा ले, भारत पीओके को लेकर रहेगा.
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने हाल ही में एक इंटरव्यू में कहा, “मैं व्यक्तिगत रूप से आश्वस्त हूं कि कश्मीर में जिस तरह से हालात बदल रहे हैं, सामान्य हो रहे हैं और कश्मीर जिस तरह से विकास की राह पर आगे बढ़ चला है, इस संभावना को नकारा नहीं जा सका है कि पीओके में रहने वाले लोग कहेंगे कि जल्द से जल्द हमें भी भारत में मर्ज कर दिया जाए. हम मर्ज होना चाहते हैं… पीओके हमारा था, है और हमारा ही रहेगा.”
अब जम्मू-कश्मीर के अच्छे हालात की तुलना में अपनी बदहाली देखकर पीओके के लोग भी यही मांग करने लगे हैं.
बलूचिस्तान अलग हुआ तो डूब जाएगा पाकिस्तान
पाकिस्तान बलूचिस्तान का वो राज्य है, जो अलग हो जाए तो पाकिस्तान को कोई बचा नहीं सकता है. बलूचिस्तान के खनिज संसाधन और समुद्री तटों, नौसैनिक बेड़ों और बंदरगाहों से होने वाले कमाई पाकिस्तानी हुकूमतें खुद पर उड़ाती हैं और बलूच लोगों का दमन करती हैं. 1948 से शुरू हुए इस दमन की अब इंतेहा हो गई है, जिससे वो प्रांत भारत की ओर बड़ी उम्मीद से देख रहा है. बलूचिस्तान के लोग सरकारी अत्याचार से इतना तंग आ चुके हैं कि वो अपना देश चाहते हैं.
रक्षा विशेषज्ञ मेजर जनरल (रिटायर्ड) एके सिवाच कहते हैं कि बलूचिस्तान में बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी आजादी की लड़ाई लड़ रही है. वह जिस प्रकार से सक्रिय है, ऐसा लगता है कि वो भी अलग होंगे. यह सच्चाई है कि पाकिस्तान सिविल वॉर की ओर जा रहा है.
बलूचिस्तान के संसाधनों पर मौज कर रहा पाकिस्तान
बलूचिस्तान हाथ से गया तो पाकिस्तान पूरी तरह से दिवालिया हो जाएगा. बलूचिस्तान में पाकिस्तान के तमाम खनिज संसाधन हैं. इसके समुद्री किनारे पर ओरमारा, पसनी, ग्वादर जैसे नौसैनिक ठिकाने और बंदरगाह हैं. फिर भी पाकिस्तानी जुल्म की कहानी ऐसी है कि आजादी के बाद से ही यहां के लोग आजादी की मांग कर रहे हैं. इसके लिए कई बार हिंसक लड़ाई भी हुई है
2003 के बाद से बलूचिस्तान की जिद है कि पाकिस्तान के साथ नहीं रहना. उसका नतीजा अच्छा नहींं रहा है. कुछ मानवाधिकार संगठनों के मुताबिक 2003 और 2012 के बीच पाकिस्तानी फौज ने आठ हजार लोगों को अगवा किया है. आलम ये है कि अक्सर बलूच लोगों की लाशें सड़़कों पर मिल जाती हैं.