भारत, दुनिया का कैंसर कैपिटल (Cancer Capital) बन गया है. विश्व स्वास्थ्य दिवस के मौके पर पेश हुई ताजा रिपोर्ट में भारत को दुनिया का कैंसर कैपिटल कहा गया है.
इस रिपोर्ट के मुताबिक 2020 में भारत में कैंसर के 14 लाख नए मरीज मिले थे. 2025 तक यह आंकड़ा 15 लाख 70 हजार मामलों तक पहुंचने का है और 2040 तक यह अनुमान 20 लाख नए कैंसर मामलों तक पहुंचने का है.
रिपोर्ट में कैंसर के अलावा भी कई अन्य पहलुओं पर भी विचार किया गया है. इसमें कहा गया है कि भारत में गैर संक्रमक बीमारियां बढ़ रही है और युवा इसकी चपेट में अधिक आ रहे हैं. एक तिहाई भारतीय प्री डायबिटिक हैं यानि कि वो कभी भी डायबिटीज की चपेट में आ सकते हैं. वहीं दो तिहाई भारतीय प्री हाइपरटेंशन की स्टेज पर हैं यानि वो हाइपरटेंशन में आने ही वाले हैं.
हर 10 में से 1 भारतीय डिप्रेशन से जूझ रहा है. कैंसर, डायबिटीडज, हृदय रोग, मानसिक बीमारियां खतरनाक स्तर पर पहुंच गई हैं. इनमें भी कैंसर के मामलों को लेकर खास चिंता जताई गई है. कैंसर के मामले वैश्विस औसत से कई अधिक हो गए हैं.
भारत में कैंसर के बढ़ते मामलों के पीछे बदलती लाइफस्टाइल, पर्यायवरण में बदलाव, सामाजिक और आर्धिक चुनौतियां शामिल हैं. तंबाकू का बढ़ता इस्तेमाल फेफड़े, मुंह और गले के कैंसर को बढ़ावा दे रहा है. वायु प्रदूषण से कारण भी कैंसर पैदा करने वाले कण हमारे शरीर में चले जाते हैं और कई तरह के कैंसर बनने का खतरा बढ़ा देते हैं. प्रोसेस्ड फूड का इस्तेमाल बढ़ने और शारीरिक मेहनत वाले काम कम होने के कारण मोटापा बढ़ रहा है, जिसकी वजह से स्तन कैंसर, कोलेरेक्टल कैंसर बढ़ रहे हैं.
वहीं कैंसर को लेकर आज भी जागरूकता की काफी कमी है. कैंसर का देर में पता चलना और देरी से इसका इलाज शुरू होना भी इसके भयानक रूप लेने से जुड़ा है.
क्यों भारत बन रहा है कैंसर कैपिटल
धीरे-धीरे कैंसर मामलों के आंकड़े हमारे देश में बढ़ रहा है. ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि हम विकासशील देश हैं और हम देश में प्रदूषण होने दे रहे हैं. वेस्टर्न देश विकसित हैं और उन्होंने अपने पर्यावरण को बचाना शुरू कर दिया है
लेकिन हमारे यहां प्रदूषण बढ़ता जा रहा है. इन सभी फैक्टर्स का हमारे ऊपर सीधा असर हो रहा है.
विकासशील देश होने के कारण लोगों में कॉम्पीटिशन बढ़ रहा है और उनका प्रेशर बढ़ रहा है. इस वजह से लेट शादियां हो रही हैं, बच्चे लेट हो रहे हैं. माताएं अपने बच्चों को दूध नहीं पिला पा रही हैं और इन सब चीजों का असर हमारे स्वास्थ्य पर हो रहा है. इसकी वजह से मॉलीक्यूलर लेवल पर बॉडी वीक हो रही है.