महाराष्ट्र में महायुति के बीच सीट शेयरिंग फॉर्मूला फाइनल, शरद पवार के गढ़ बारामती में भाभी-ननद का मुकाबला

0 31

लोकसभा चुनाव के मद्देनजर महाराष्ट्र में महायुति यानी बीजेपी, शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) और एनसीपी (अजित पवार गुट) के बीच सीट शेयरिंग का फॉर्मूला तय हो गया है.

सूत्रों के मुताबिक, राज्य की 48 सीटों में से बीजेपी 31 सीटों पर अपने कैंडिडेट उतारेगी. जबकि, शिवसेना (शिंदे गुट) 13 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. वहीं, एनसीपी (अजित पवार गुट) को 4 सीटें दी गई हैं.

सूत्रों के मुताबिक, सीट शेयरिंग फॉर्मूले के तहत एनसीपी (अजित पवार गुट) को महाराष्ट्र की बारामती, रायगढ़, शिरूर और परभणी सीटें मिली हैं. बारामती शरद पवार का गढ़ माना जाता है. यहां इस बार भाभी बनाम ननद का मुकाबला तय माना जा रहा है.

दरअसल, मौजूदा डिप्टी सीएम अजित पवार के गुट से उनकी पत्नी सुनेत्रा पवार को बारामती से टिकट दिया जाना तय है. वहीं, शरद पवार गुट ने मौजूदा सांसद सुप्रिया सुले को यहां से उम्मीदवार घोषित कर दिया है. सुप्रिया सुले यहां से लगातार 3 बार की सांसद हैं. 2019 में उन्हें 52.63% वोट मिले थे.

बारामती सीट का समीकरण
इस लोकसभा सीट के अंदर 6 विधानसभा सीटें आती हैं. इनमें दौंड, इंदापुर, बारामती, पुरंदर, भोर और खड़कवासला शामिल हैं. फ़िलहाल इनमें से दो सीटों पर एनसीपी, एक-एक सीट पर कांग्रेस, बीजेपी, शिवसेना और राष्ट्रीय समाज पक्ष के व‍िधायक काबिज हैं. इस सीट को शरद पवार की वजह से राज्य की हाई प्रोफाइल सीट के तौर पर देखा जाता है. उन्हें महाराष्ट्र की सियासत में साहेब के नाम से जाना जाता है.

1957 में हुआ पहला चुनाव
साल 1957 से पहले बारामती लोकसभा सीट अस्तित्व में नहीं थी. यहां पहला चुनाव 1957 में हुआ, तब कांग्रेस के केशवराव जेधे यहां के पहले सांसद चुने गए. उसके बाद 1957 से लेकर 1971 तक यह सीट कांग्रेस पार्टी के कब्जे में थी. 1977 के चुनाव में यहां जनता पार्टी के संभाजी काकड़े सांसद चुने गए. शरद पवार यहां से 1984 में पहली बार सांसद बने. हालांकि, 1985 में वे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने तो ये सीट खाली हुई और एक बार फिर संभाजी काकड़े ने जीत दर्ज कर ली. 1991 के बाद से इतिहास बदला और अब तक ये सीट पवार फैमली के कब्जे में रही.

4 बार इस सीट से सांसद रहे शरद पवार
1991 में अजित पवार यहां सांसद बने. 1996 से लेकर 2004 तक लगातार 4 बार शरद पवार ही यहां से सांसद रहे. शरद पवार के बाद ये सीट को उनकी बेटी सुप्रिया सुले ने 2009 से लेकर अब तक अपने कब्जे में रखा है. साल 2014 की मोदी लहर में महाराष्ट्र में कई बड़े नाम धाराशाई हो गए, लेकिन बारामती सीट पर पवार परिवार का ही कब्जा रहा. इस सीट से सुप्रिया सुले मौजूदा सांसद हैं. इस बार उनका मुकाबला अपनी भाभी से होने जा रहा है.

रायगढ़ से कौन होगा उम्मीदवार?
दूसरी ओर, रायगढ़ लोकसभा सीट से NCP के प्रदेशाध्यक्ष और मौजूदा सांसद सुनील तटकरे उम्मीदवार होंगे, जबकि यहां से शिवसेना (UBT) से अनंत गीते का नाम भी तय माना जा रहा है. एनसीपी (अजित पवार गुट) शीरूर से प्रदीप कंद या आढलराव पाटिल को उम्मीदवार बना सकती है.

2019 में शिवसेना-BJP का नाता टूटा
महाराष्ट्र की 288 विधानसभा सीटों पर भी 2019 में चुनाव हुए थे. तब शिवसेना और बीजेपी साथ थे. बीजेपी 106 विधायकों के साथ राज्य की सबसे बड़ी पार्टी बनी. शिवसेना ने 56 सीटों पर जीत मिली. लेकिन सीएम पद को लेकर दोनों दलों में मतभेद सामने आ गए. शिवसेना ने ढाई-ढाई साल के लिए CM के फॉर्मूले का दांव चला, जिसे बीजेपी ने खारिज कर दिया. इसके बाद उद्धव ठाकरे ने बीजेपी से 25 साल का रिश्ता तोड़ दिया. उन्होंने कांग्रेस और एनसीपी के साथ गठबंधन करके सरकार बना ली और खुद सीएम बन गए.

एकनाथ शिंदे और उनके समर्थकों ने की बगावत
इसके बाद जून 2022 में एकनाथ शिंदे और शिवसेना के 39 अन्य विधायकों ने महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के खिलाफ बगावत कर दी, जिससे शिवसेना के दो हिस्से हो गए. लिहाजा महाविकास अघाड़ी गठबंधन सरकार गिर गई. बाद में एकनाथ शिंदे ने बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बना ली और खुद सीएम बने. फिर जुलाई 2023 में शरद पवार के भतीजे अजित पवार ने भी बगावत कर दी. अब अजित पवार राज्य के डिप्टी सीएम हैं. उन्हें चुनाव आयोग की ओर से एनसीपी का नाम और निशान इस्तेमाल करने का अधिकार भी मिल चुका है.

Leave A Reply

Your email address will not be published.