पेपर लीक कानून के दायरे में नहीं आएंगे छात्र और अभ्यर्थी : केंद्रीय मंत्री; लोकसभा में पास हुआ बिल

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केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने मंगलवार को लोकसभा में सार्वजनिक परीक्षा विधेयक 2024 पर चर्चा के दौरान कहा कि छात्र और उम्मीदवार परीक्षाओं में कदाचार रोकने के लिए प्रस्तावित कानून के दायरे में नहीं होंगे.

प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं में कदाचार और अनियमितताओं से सख्ती से निपटने का प्रावधान करने वाला विधेयक सोमवार को सदन में पेश किया गया, जिसमें अधिकतम 10 साल की जेल की सजा और 1 करोड़ रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है.

केंद्रीय कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने बहस में हस्तक्षेप करते हुए कहा, “हमने छात्र या उम्मीदवार को इस कानून के दायरे में नहीं रखा है. ये कानून उन लोगों के विरुद्ध लाया गया है, जो इस परीक्षा प्रणाली के साथ छेड़छाड़ करते हैं.”

सदन ने ध्वनिमत से विधेयक को पारित कर दिया
लोकसभा में विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए जितेंद्र सिंह ने स्पष्ट किया कि विद्यार्थी या अभ्यर्थी इस कानून के दायरे में नहीं आते और ऐसा संदेश नहीं जाना चाहिए कि इसके माध्यम से उम्मीदवारों का उत्पीड़न होगा. उन्होंने कहा कि ये विधेयक राजनीति से ऊपर है और देश के बेटे-बेटियों के भविष्य से जुड़ा है. मंत्री के जवाब के बाद सदन ने ध्वनिमत से विधेयक को पारित कर दिया.

जितेंद्र सिंह ने अनियमितता के कारण परीक्षा रद्द होने पर पुनर्परीक्षा के लिए समय-सीमा तय करने के कुछ सदस्यों के सुझाव पर कहा कि इस तरह के मामलों में सीबीआई जांच और अन्य तरह की प्रक्रियाएं शुरू हो जाती हैं, इसलिए सीमा रेखा तय करना संभव नहीं, लेकिन सरकार का प्रयास इन्हें समय पर कराना होगा.

उन्होंने द्रविण मुन्नेत्र कषगम (द्रमुक) के सदस्य कथिर आनंद के सदन में चर्चा के दौरान दिए बयान का उल्लेख करते हुए कहा कि तमिलनाडु के सांसद ने सरकार पर आरोप लगाया कि भाषा के कारण छात्रों के साथ भेदभाव होता है.

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पहली बार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी), संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) और अन्य परीक्षाओं को तमिल समेत 13 भाषाओं में कराना शुरू किया है और उम्मीद है कि आठवीं अनुसूची में शामिल सभी 22 भाषाओं में भर्ती परीक्षाएं आयोजित कराई जाएंगी. उन्होंने कहा कि द्रमुक पार्टी जब संप्रग सरकार में थी, तब भी ऐसा नहीं हुआ.

परीक्षाओं में गड़बड़ी रोकने के खिलाफ अलग सख्त कानून की जरूरत
परीक्षाओं में गड़बड़ी के खिलाफ अलग सख्त कानून की जरूरत पर कुछ विपक्षी सदस्यों के सवाल उठाये जाने पर सिंह ने कहा कि भारतीय न्याय संहिता में अलग से इस तरह के प्रावधानों का उल्लेख नहीं है, इसलिए अलग से कानून लाया गया है. उन्होंने कहा कि कानून के नियम बनाते समय सरकार की योजना विशेषज्ञों की एक ऐसी समिति बनाने की है, जो प्रौद्येागिकी के आधार पर इसे समय-समय पर अद्यतन करे और जानकारी बढ़ाएं.

जितेंद्र सिंह ने प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे विद्यार्थियों के आत्महत्या के बढ़ते मामलों पर चिंता जताते हुए कहा कि योग्यता, प्रतिभा और परिश्रम के आधार पर उन्हें अवसर मिलने चाहिए और नई शिक्षा नीति के तहत उन्हें हर तरह के विषय पढ़ने और करियर के विकल्प चुनने का अवसर मिलेगा.
विधेयक में कहा गया है, “प्रश्न पत्र या उत्तर कुंजी का लीक होना, सार्वजनिक परीक्षा में अनधिकृत रूप से किसी भी तरीके से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से उम्मीदवार की सहायता करना और कंप्यूटर नेटवर्क या कंप्यूटर संसाधन या कंप्यूटर सिस्टम के साथ छेड़छाड़ करना किसी व्यक्ति, लोगों के समूह या संस्थानों द्वारा किए गए अपराध हैं.”

सभी परीक्षाएं कानून के दायरे में
विधेयक के दायरे में यूपीएससी, एसएससी, रेलवे द्वारा आयोजित प्रतियोगी परीक्षाएं, बैंकिंग भर्ती परीक्षाएं और राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) द्वारा आयोजित सभी कम्प्यूटर आधारित परीक्षाएं आएंगी.

इसमें नकल पर रोकथाम के लिए न्यूनतम तीन साल से पांच साल तक के कारावास और इस तरह के संगठित अपराध में शामिल लोगों को पांच से 10 साल तक की जेल की सजा का प्रावधान है. प्रस्तावित कानून में न्यूनतम एक करोड़ रुपये के जुर्माने का प्रावधान है.

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