COP28 में पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने जलवायु न्याय पर दिया जोर, बोले- हर देश को विकास का अधिकार

0 81

केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेन्द्र यादव ने शनिवार को दुबई में COP28 शिखर सम्मेलन में मैंग्रोव एलायंस फॉर क्लाइमेट मंत्रिस्तरीय बैठक में हिस्सा लिया।

भूपेन्द्र यादव ने शनिवार को कॉप28 समिट में कहा कि भारत का दृढ़ विश्वास है कि समानता और जलवायु न्याय, जलवायु कार्रवाई का आधार होना चाहिए तथा यह तभी सुनिश्चित किया जा सकता है जब विकसित देश जलवायु परिवर्तन से निपटने में अग्रणी भूमिका निभाएंगे।

इस बैठक में शामिल होते हुए उन्होंने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए भारत ने एक समग्र दृष्टिकोण अपनाया है। उन्होंने आगे कहा, हम (भारत) ने केवल तापमान वृद्धि से निपटने के लिए उत्सर्जन को कम करने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं बल्कि जैव विविधता को समृद्ध करने की दिशा में भी काम कर रहे हैं।

भारत सरकार ने शोरलाइन हैबिटेट्स पहल की शुरुआत की
उन्होंने आगे कहा, मानव जाति के लिए जैव विविधता का मूल्य सांस्कृतिक और सामाजिक पहलुओं के साथ-साथ इसके आर्थिक आयाम में भी निहित है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने बजट 2023-24 में शोरलाइन हैबिटेट्स की पहल शुरू की। उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत समुद्र तट के किनारे मैंग्रोव वृक्षारोपण किया जा रहा है। उन्होंने आगे कहा कि देश में मौजूद सुंदरबन डॉल्फिन, मगरमच्छ और गंभीर रूप से लुप्तप्राय कछुओं को संरक्षित करने पर सरकार जोर दे रही है।

‘ग्लोबल स्टॉक टेक (जीएसटी) के नतीजों से भारत आश्वस्त’
उन्होंने कहा कि भारत ने 2005 और 2019 के बीच अपनी जीडीपी उत्सर्जन तीव्रता को 33 फीसदी तक कम करते हुए 11 साल पहले ही लक्ष्य हासिल कर लिया है।

उन्होंने यह भी कहा कि भारत जलवायु परिवर्तन से निपटने में सार्थक और प्रासंगिक जानकारी उपलब्ध कराने के लिए ग्लोबल स्टॉक टेक (जीएसटी) के नतीजों को लेकर आश्वस्त है ।जीएसटी पेरिस समझौते के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए सामूहिक वैश्विक प्रयासों की दो साल की समीक्षा है। इसमें खासतौर पर ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने का लक्ष्य रखा गया है।

मैंग्रोव लगाने के लोगों की बढ़ रही भागीदारी
भूपेंद्र यादव ने आगे कहा,”भारत के पर्यावरण मंत्री के रूप में मैं स्वयं भारत के ज्वारीय क्षेत्रों जैसे कि गुजरात और तमिलनाडु के तटीय क्षेत्रों में कार्यक्रमों में भाग लेता रहा हूं, जहां मैंग्रोव वृक्षारोपण अभियान आयोजित किए जा रहे हैं। मुझे यह बताते हुए गर्व हो रहा है कि लोग मैंग्रोव लगाने के लिए भारी संख्या में आ रहे हैं। यह पर्यावरण के प्रति जागरूक व्यवहार व्यवहार में गहरी पारिस्थितिकी का एक उदाहरण प्रस्तुत करता है।

Leave A Reply

Your email address will not be published.