दिल्ली की वायु गुणवत्ता ‘अति गंभीर’ श्रेणी में पहुंची, लेकिन कड़े प्रतिबंध टाले गए

0 44

दिल्ली की वायु गुणवत्ता (Delhi Air Quality) शुक्रवार को ‘‘अति गंभीर” श्रेणी में पहुंच गयी, लेकिन केंद्र सरकार ने वायु प्रदूषण नियंत्रण योजना के तहत सख्त उपायों के कार्यान्वयन को यह कहते हुए टाल दिया कि क्षेत्र में वायु गुणवत्ता सूचकांक पहले से सुधार के रुझान दिखा रहा है.

दिल्ली का 24 घंटे का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) शुक्रवार को 468 था जो “अति गंभीर” श्रेणी में आता है. इस चरण में प्रदूषण फैलाने वाले ट्रकों, वाणिज्यिक चार पहिया वाहनों और सभी प्रकार के निर्माण पर प्रतिबंध सहित सभी आपातकालीन उपायों को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में शुरू और लागू किया जाना अनिवार्य है.

शुक्रवार को शहर का एक्यूआई 12 नवंबर, 2021 को दर्ज किए गए पिछले उच्चतम स्तर के बाद से सबसे खराब था.

हालांकि सीएक्यूएम ने एक समीक्षा बैठक के दौरान दिल्ली-एनसीआर में सख्त प्रतिबंध लागू करने से पहले एक या अधिक दिन के लिए वायु प्रदूषण की स्थिति की निगरानी करने का निर्णय लिया.

शाम को साझा की गई एक अद्यतन जानकारी के अनुसार इसमें कहा गया है कि प्रदूषण नियंत्रण योजना के चरण-3 के तहत प्रतिबंध केवल एक दिन पहले लागू किए गए हैं और क्षेत्र में एक्यूआई पर अपना पूरा प्रभाव डालने के लिए समय देना उचित होगा.

प्रदूषण के अति गंभीर श्रेणी में पहुंचने के कारण अनेक लोग सुबह की सैर और खेल समेत खुले में की जाने वाली अपनी गतिविधियों को टालने के लिए मजबूर हुए हैं.

द्वारका में रहने वाले संजय कबीर ने कहा कि वह सुबह और शाम की सैर से बच रहे हैं, इसके बजाय घर के अंदर रहना पसंद कर रहे हैं.

माता-पिता काफी चिंतित हैं क्योंकि स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चे तेजी से सांस लेते हैं और अधिक प्रदूषक तत्व ग्रहण करते हैं.

क्रमिक प्रतिक्रिया कार्य योजना (जीआरएपी) के अंतिम (चौथे) चरण के तहत दूसरे राज्यों के केवल सीएनजी, इलेक्ट्रिक और बीएस-4 वाहनों को दिल्ली में प्रवेश की अनुमति दी जाती है. इसमें आवश्यक सेवाओं वाले वाहनों को छूट दी जाती है.

आवश्यक सेवाओं में लगे सभी मध्यम और भारी मालवाहक वाहनों पर भी राष्ट्रीय राजधानी में प्रतिबंध लगाने की आवश्यकता होती है.

शहर में एक्यूआई बृहस्पतिवार को सुबह 10 बजे 351 से बढ़कर शुक्रवार को सुबह नौ बजे 471 पर पहुंच गया जो अत्यधिक प्रतिकूल मौसम परिस्थितियों और पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने की घटनाओं में तेजी से वृद्धि के कारण प्रदूषण स्तर में अचानक वृद्धि को दर्शाता है. शहर में 24 घंटे का औसत एक्यूआई बृहस्पतिवार को 392, बुधवार को 364, मंगलवार को 359, सोमवार को 347, रविवार को 325, शनिवार को 304 और शुक्रवार को 261 दर्ज किया गया.

यह पिछले कुछ दिन में दिल्ली की वायु गुणवत्ता में गिरावट के सिलसिले को दर्शाता है. बृहस्पतिवार को एक्यूआई गिरकर गंभीर श्रेणी में पहुंच गया.

वायु गुणवत्ता का संकट केवल दिल्ली तक सीमित नहीं है. पड़ोसी हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के कई शहरों में भी वायु गुणवत्ता हानिकारक स्तर पर दर्ज की गयी है.

इन शहरों में राजस्थान में हनुमानगढ़ (401), भिवाड़ी (379) और श्री गंगानगर (390), हरियाणा में हिसार (454), फतेहाबाद (410), जींद (456), रोहतक (427), बल्लभगढ़ (390), बहादुरगढ़ (377), सोनीपत (458), कुरुक्षेत्र (333), करनाल (345), कैथल (369), भिवानी (365), फरीदाबाद (448) और गुरुग्राम (366) तथा उत्तर प्रदेश में गाजियाबाद (414), बागपत (425), मेरठ (375), नोएडा (436) और ग्रेटर नोएडा (478) शामिल हैं.

दिल्ली-एनसीआर में लगातार चौथे दिन शुक्रवार को घनी और दमघोंटू धुंध छायी हुई है और क्षेत्रों में कई स्थानों पर पीएम2.5 (सूक्ष्म कण जो सांस लेने पर श्वसन प्रणाली में गहराई तक प्रवेश कर सकते हैं और श्वसन संबंधी समस्याएं पैदा कर सकते हैं) की सांद्रता 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर की सुरक्षित सीमा से सात से आठ गुना अधिक रही.

प्रदूषण नियंत्रण योजना के तीसरे चरण को लागू करते हुए सीएक्यूएम ने बृहस्पतिवार को क्षेत्र में गैर-जरूरी निर्माण कार्य, पत्थर तोड़ने और खनन पर तत्काल प्रतिबंध लगा दिया.

दिल्ली, गुरुग्राम, फरीदाबाद, गाजियाबाद और गौतम बुद्ध नगर में बीएस-3 पेट्रोल और बीएस-4 डीजल वाहनों पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है.

जीआरएपी चार चरणों के तहत कार्रवाई करती है : पहला चरण – ‘खराब’ (एक्यूआई 201-300), दूसरा चरण – ‘बहुत खराब’ (एक्यूआई 301-400), तीसरा चरण – ‘गंभीर’ (एक्यूआई 401-450) और चौथा चरण- ‘अति गंभीर’ (एक्यूआई 450 से अधिक) है.

दिल्ली सरकार ने स्वास्थ्य के लिए खतरनाक प्रदूषण से बच्चों की सुरक्षा करने की कवायद के तहत सभी प्राइमरी स्कूलों को दो दिन के लिए बंद करने की भी घोषणा की है.

दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने स्थिति की समीक्षा करने के लिए शुक्रवार को एक आपात बैठक बुलायी है.

सीएक्यूएम ने कहा है कि अत्यधिक प्रतिकूल मौसम और जलवायु संबंधी परिस्थितियों के कारण प्रदूषण स्तर ‘‘और बढ़ने की आशंका है.”

भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के एक वैज्ञानिक ने कहा, ‘‘हमें प्रतिकूल मौसम परिस्थितियों – हवा की धीमी गति, हवा चलने की गैर-अनुकूल दिशा और बारिश की कमी- दो से तीन दिन और रहने की आशंका है जिससे प्रदूषक कणों को और एकत्रित होने का मौका मिलेगा.”

आईएमडी ने सुबह करीब 10 बजे सफदरजंग वेधशाला और पालम वेधशाला में दृश्यता महज 500 मीटर तक दर्ज की है.

स्वास्थ्य पेशेवरों ने चिंता जतायी है कि वायु प्रदूषण से बच्चों और बुजुर्गों में अस्थमा और फेफड़ों संबंधी समस्या बढ़ रही है.

दिल्ली स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने कहा कि पंजाब और हरियाणा में शुक्रवार को पराली जलाने की क्रमश: 1,551 और 28 घटनाएं दर्ज की गईं.

संस्थान के एक वैज्ञानिक ने कहा कि पंजाब और हरियाणा में इस साल बारिश की कमी के कारण धान के उत्पादन में वृद्धि हुई है, जिसके परिणामस्वरूप धान का भूसा प्रचुर मात्रा में है.

इस बीच, हरियाणा के कई हिस्सों में शुक्रवार को वायु गुणवत्ता सूचकांक ‘गंभीर’ श्रेणी में दर्ज किया गया, जबकि पड़ोसी पंजाब के कुछ हिस्सों में यह ‘खराब’ श्रेणी में रहा.

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार शुक्रवार शाम को फरीदाबाद में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 460 दर्ज किया गया, इसके बाद हिसार में 456, सोनीपत में 455, जिंद में 447, फतेहाबाद में 432, रोहतक में 424, बहादुरगढ़ में 404, बल्लभगढ़ में 398, गुरुग्राम में 367, पलवल में 339, भिवानी में 313, कुरूक्षेत्र में 321, करनाल में 312 और अम्बाला में एक्यूआई 218 दर्ज किया गया.

पंजाब के बठिंडा में एक्यूआई 338 दर्ज किया गया, जबकि मंडी गोबिंदगढ़ में 277, अमृतसर में 248, खन्ना में 249, जालंधर में 268 और लुधियाना में 228 दर्ज किया गया.

Leave A Reply

Your email address will not be published.