कोविड मरीजों को डिस्चार्ज होने के बाद मानसिक स्वास्थ्य जैसी समस्याएं, 8042 मरीजों की निगरानी से खुलासा

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अस्पताल में भर्ती होने वाले कोविड के मरीजों को डिस्चार्ज होने के बाद कई तरह की बीमारियों का अनुभव हुआ।

क्लिनिकल स्टडीज एंड ट्रायल यूनिट, इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के नेतृत्व में किए गए अध्ययन में यह सामने आया है। अध्ययन के दौरान डिस्चार्ज होने के 30-60 दिनों के बाद जिन 8,042 मरीजों का फॉलोअप किया गया, उनमें क्रमशः 18.6, 10.5 और 9.3 फीसदी में सांस की तकलीफ, मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं पाई गईं।

लगातार इलाज के बाद 2,192 मरीजों में एक साल के फॉलोअप के बाद बीमारी का प्रसार क्रमशः 11.9 , 6.6 और 9 फीसदी तक गिर गया। डिस्पेनिया और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं वाले निदान किए गए रोगियों में से क्रमशः 10.1 प्रतिशत और 6.9 प्रतिशत को गहन देखभाल इकाई में उपचार की आवश्यकता पड़ी। हालांकि, डिस्पेनिया यानी सांस की तकलीफ किसी बीमारी के अलावा दूसरी वजहों से भी हो सकती है।

दूसरी लहर में सबसे ज्यादा कहर
अध्ययनकर्ताओं के अनुसार महामारी की दूसरी लहर के दौरान भर्ती मरीजों में सांस की तकलीफ, मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं और थकान सबसे ज्यादा थी। पहली, दूसरी और तीसरी लहर में क्रमशः 17.2 , 19.6 और 17.5 फीसदी रोगियों में डिस्पेनिया की सूचना मिली। पहली, दूसरी और तीसरी लहर में क्रमशः 5.8 , 11.1 और 9.8 फीसदी में मानसिक स्वास्थ्य पाया गया। तीनों लहरों में से प्रत्येक के दौरान 4.4 , 4.7 और 6.4 फीसदी में मृत्यु देखी गई। तीनों लहरों में से प्रत्येक के दौरान 9.6, 11.8 और 7.9 फीसदी थकान दर्ज की गई।

इन तथ्यों पर दिया ध्यान
आईसीएमआर ने सितंबर 2020 से अक्तूबर 2022 तक 31 अस्पतालों से अवलोकन डाटा एकत्र किया। अध्ययन में अंगों की कमजोरी, शरीर में दर्द, जोड़ों का दर्द, खांसी, सिरदर्द, उल्टी, सीने में दर्द, बुखार और स्वाद या गंध की हानि पर ध्यान शामिल था।

टीकों ने दिखाई ताकत
शोधकर्ताओं के अनुसार मरने वाले रोगियों में से केवल 16 फीसदी को टीका लगाया गया था, जबकि जीवित बचे लोगों में से लगभग 50 फीसदी को टीका लगाया गया था, जो कारगर साबित हुआ।

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