Gyanvapi Case: दीवारों के पीछे झांकने के लिए कानपुर से आएगी आधुनिक मशीन, GPR से होगी तहखाने के हिस्सों की जांच

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ज्ञानवापी परिसर में एएसआइ का सर्वे के लिए आधुनिक मशीनें कानपुर से आएंगी।

इनके जरिए दीवारों के पीछे क्या है इसकी जानकारी हासिल की जाएगी। ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार (जीपीआर) कही जाने वाली मशीनें धरती के नीचे 50 फुट तक की जानकारी दे सकती है।

इस मशीन की जरूरत खास तौर पर उस वक्त होगी जब सर्वे टीम तहखाने की जांच करने पहुंचेगी। अभी टीम इमारत के बाहरी हिस्से पश्चिमी दीवार, शीर्ष, दक्षिणी व उत्तरी दीवार की जांच कर रही है। पूरब में वह स्थान जहां एडवोकेट कमिश्नर कार्यवाही के दौरान शिवलिंग मिला था सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सील है।

इमारत के नीचे आधे हिस्से को दीवार व मलबे से बंद किया गया है
दक्षिण दिशा में मौजूद व्यास जी के कमरे की जांच करने के लिए उसमें जमा मलबे को निकाला जा रहा है। इसके निकलने के बाद उस जगह पहुंचा जा सकता है जहां से तहखाने को बंद करने का दावा मंदिर पक्ष करता है। यहां तक उत्तरी दिशा में मौजूद तहखाने से भी आया जा सकता है।

मंदिर पक्ष का उनका कहना है कि पश्चिमी दीवार से लेकर पूरब की ओर से इमारत के नीचे आधे हिस्से को दीवार व मलबे से बंद किया गया है। यहां महत्वपूर्ण साक्ष्य मौजूद हैं। एडवोकेट कमिश्नर की कार्यवाही के दौरान इस जगह की जांच नहीं हो पाई थी। एएसआइ सर्वे के दौरान जीपीआर के जरिए बंद जगह की जांच की सकेगी।

थ्रीडी इमेज से खंगाला पश्चिमी दीवार का अतीत
वाराणसी स्थित ज्ञानवापी परिसर में सर्वे के पांचवें दिन मंगलवार को एएसआइ की टीम का ध्यान पश्चिमी दीवार पर केंद्रित रहा। पुराविशेषज्ञों ने उसकी थ्रीडी इमेज (त्रिआयामी छवि) तैयार की। इसके टूटे हिस्सों की डिजिटल इमेज को वहां मौजूद हिस्से से मेल कराते हुए मंदिर जैसा आकार दिया गया

जानने की कोशिश की गई कि दीवार वर्तमान में मौजूद इमारत का हिस्सा है या किसी प्राचीन मंदिर का अवशेष। सर्वे की कार्यवाही मंगलवार को सुबह साढ़े आठ बजे से शाम पांच बजे तक दो पालियों में चली। इमारत के शीर्ष और उसके नीचे मौजूद शिखर जैसी आकृति की जांच, व्यास जी के कमरे से मलबा निकालने और उसमें मिल रही पत्थर की आकृतियों की जांच जारी है।

दीवार की वास्तविक स्थिति देखने के लिए आएगी मशीन
मंदिर पक्ष के वकील सुभाषनंदन चतुर्वेदी व सुधीर त्रिपाठी के अनुसार, पश्चिमी दीवार की थ्रीडी इमेज तैयार करने के लिए टीम ने कई जगहों पर डिफरेंशियल ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (डीजीपीएस) स्थापित किया। मशीन से जुड़े टैबलेट पर दीवार के हर हिस्से को हूबहू उतारा गया। इससे यह समझने की कोशिश की गई कि पूरी दीवार वास्तव में दिखती कैसी होगी। यह भी समझने का प्रयास हुआ कि दीवार मौजूदा इमारत की बनावट से मेल खाती है या किसी मंदिर की बनावट से।

सर्वे टीम ने हर आकृति की तैयार की डिजिटल इमेज
सर्वे टीम को पश्चिमी दीवार पर ढेरों आकृतियां मिली हैं। सभी की वीडियो वफोटोग्राफी की गई। जो क्षतिग्रस्त हो गई हैं, उनका मिलान सुरक्षित आकृतियों से किया गया।

सर्वे टीम को पश्चिमी दीवार पर कई जगह हाथी के सूंड़, स्वास्तिक, त्रिशूल, पान के पत्तों जैसी आकृति उभरी हुई दिखी। घंटियों की शृंखला, कमल के फूल जैसी आकृतियां भी मिली हैं। इसके साथ दो बड़े खंभे और टूटे हुए आर्क जैसी आकृति भी है।

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