माफिया अतीक अहमद प्रयागराज के करैली इलाके में मुस्लिमों को बसाने के लिए लगातार जमीनों पर कब्जे कर रहा था। वह बीते कुछ सालों से इस इलाके की जनसांख्यिकीय (डेमोग्राफी) बदलने की कवायद में जुटा था।
दरअसल, अतीक और उसका गैंग प्रयागराज के कुछ इलाकों की डेमोग्राफी बदलना चाहते थे। इसी वजह से अतीक अपने शूटरों को भी इन इलाकों में बसाता था ताकि उसका दबदबा और सुरक्षा कवच बरकरार रहे।
एडीजी एसटीएफ अमिताभ यश ने बताया कि अतीक का बेटा असद गैंग का नया लीडर बनना चाहता था। उसके खिलाफ एक ही मुकदमा दर्ज था लेकिन, उमेश पाल हत्याकांड को अंजाम देने के उसके तरीके से साफ है कि वह पहले ही अभ्यस्त शूटर बन चुका था।
ऐसी सूचना भी है कि वह अपने स्कूल में भी असलहा लेकर जाता था हालांकि इसकी अभी पुष्टि नहीं हुई है। एसटीएफ के साथ मुठभेड़ में भी वह पुलिस टीम पर बेखौफ होकर फायरिंग कर रहा था। वहीं उमेश पाल हत्याकांड में शामिल शूटर बिहार निवासी साबिर अतीक की पत्नी शाइस्ता का ड्राइवर था।
नेता बनना चाहता था शूटर गुलाम
साबिर बिहार में भी कई घटनाएं अंजाम दे चुका है। अपराधियों के बीच रहने की वजह से वह भी शूटर बन गया था। एनकाउंटर में ढेर हुआ शूटर गुलाम नेता बनना चाहता था।
अकेले वारदात करने में सक्षम है गुड्डू मुस्लिम
एडीजी ने कहा कि अतीक के गैंग में गुड्डू मुस्लिम सबसे खतरनाक अपराधी है। वह अकेले दम पर वारदात को अंजाम देने में सक्षम है। वह कई वर्षों से सुपारी लेकर हत्या कर रहा था। हालांकि कई वारदातों में उसका नाम सामने नहीं आया।
ऐसा अपराधी समाज के लिए खतरा है। उसे वर्ष 1999 में पटना की बेउर जेल से पकड़ा गया था। वह जेल में बंद माफिया राजन तिवारी से किसी की हत्या की सुपारी लेने की बात करने गया था। उसे एनडीपीएस एक्ट में दस साल की सजा हुई थी। बाद में अतीक ने उसकी हाईकोर्ट से जमानत करा ली थी।
उमेश पाल को मारने से कई मामलों में नहीं होती सजा
उन्होंने बताया कि उमेश पाल की दिनदहाड़े हत्या बाकी केसों के गवाहों में दहशत फैलाने के उद्देश्य से की गयी थी। उमेश पाल अपने अपहरण केस में सुप्रीम कोर्ट में जल्द सुनवाई की अपील की थी।
कोर्ट ने संबंधित अदालत को छह हफ्ते में सुनवाई पूरी करने का आदेश दिया था। इससे अतीक को डर था कि उसके बाकी मुकदमों में भी इसी तरह लोग बेखौफ होकर गवाही देने लगेंगे, जिससे उसको सजा होने लगेगी।