उत्तराखंड के ‘धंसते शहर’ जोशीमठ में सेना के कुछ बैरकों में दरार आई है. इसके चलते कुछ जवानों को ऊपर के दूसरे बैरक में शिफ्ट किया गया है.
दरार दरार उन बैरकों में आई है जो नदी के करीब है. सेना का बिग्रेड हेड क्वार्टर पूरी तरह सुरक्षित है. बता दें, हेड क्वार्टर पहाड़ी पर स्थित है. भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) का बटालियन भी सुरक्षित है. ITBP की तीन कंपनी स्टैंड बाई पर हैं. जानकारी के मुताबिक, ज़्यादातर दरार का असर निचले इलाके पर है. सेना और आईटीबीपी हालात पर नज़र बनाए हुए हैं. रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट जोशीमठ में मंगलवार को सेना के आला अधिकारियों के साथ स्थिति की समीक्षा भी कर चुके हैं.
गौरतलब है कि लगातार जमीन घंसने की घटनाओं के मद्देनजर जोशीमठ को ‘sinking zone (धंसता क्षेत्र)’ घोषित किया गया है, यहां के कई घरों और सड़कों में पिछले कुछ दिनों में दरारें आई हैं जिसके चलते क्षेत्र के निवासियों में डर व्याप्त है. 6150 फीट (1875 मीटर) की ऊंचाई पर स्थित जोशीमठ, कई हिमालयी पर्वतारोहण अभियानों, ट्रेकिंग अभियानों और केदारनाथ व बद्रीनाथ जैसे लोकप्रिय तीर्थस्थलों का प्रवेशद्वार है. क्षेत्र के सैकड़ों घर और अन्य प्रतिष्ठानों में जमीन धंसने के कारण दरारें आ गई हैं.
हालात की गंभीरता को देखते हुए इस धार्मिक शहर की सभी खतरनाक इमारतों पर लाल रंग से ‘X’का चिन्ह अंकित किया जा रहा है. जिला प्रशासन की ओर से इन इमारतों को रहने के लिहाज से असुरक्षित घोषित किए जाने के बाद इसके निवासियों को सुरक्षित स्थान पर शिफ्ट किया जा रहा है.