पाकिस्तान में PM ने ठुकराया Imran Khan का प्रस्ताव, नए सैन्य प्रमुख की नियुक्ति पर खींच-तान जारी

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने कहा कि, "इमरान खान सलाह दी थी कि सैन्य प्रमुख की नियुक्ति के लिए हम उन्हें तीन नाम दें और वो तीन नाम देंगे, इसके बाद हम उन 6 नामों में से नए सैन्य प्रमुख की नियुक्ति पर फैसला लें."

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पाकिस्तान (Pakistan) के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ (Shehbaz Sharif) ने ने अगले सैन्य प्रमुख की नियुक्ति के लिए इमरान खान का प्रस्ताव ठुकरा दिया है.

द एक्सप्रेस ट्रिब्यून के अनुसार, इमरान खान ने बताया कि पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के अध्यक्ष इमरान खान का प्रस्ताव ठुकरा कर उन्होंने इमरान खान को लोकतंत्र और अर्थव्यवस्था पर चर्चा का प्रस्ताव दिया है.

शनिवार को व्लॉगर्स के साथ बातचीत करते हुए शरीफ ने कहा कि पीटीआई चेयरमैन ने उन्हें दो मुद्दे सुलझाने का प्रस्ताव दिया था, जिसमें पहला मुद्दा सैन्य प्रमुख की नियुक्ति था, जबकि दूसरा जल्द चुनाव को लेकर था.

द एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के हवाले से कहा कि, “इमरान खान सलाह दी थी कि सैन्य प्रमुख की नियुक्ति के लिए हम उन्हें तीन नाम दें और वो तीन नाम देंगे, इसके बाद हम उन 6 नामों में से नए सैन्य प्रमुख की नियुक्ति पर फैसला लें.”

शरीफ ने कहा कि “अगर दोनों सूचियों में एक साझा नाम होगा तो हम इस पर हामी भरेंगे. लेकिन मैंने साफ तौर पर इमरान खान के प्रस्ताव को धन्यवाद देते हुए खारिज कर दिया.”

उन्होंने आगे कहा कि इसकी बजाय “इमरान खान को लोकतंत्र और अर्थव्यवस्था के घोषणापत्र पर चर्चा करनी चाहिए.”

शरीफ ने साथ ही यह भी संदेश दिया कि सैन्य प्रमुख की नियुक्ति एक संवैधानिक कर्तव्य है जो प्रधानमंत्री ही निभाएगा.

उन्होंने यह भी कहा कि इंटर -सर्विस इंटेलिजेंस (ISI) के डायरेक्टर जनरल ने इंटर-सर्विस पब्लिक रिलेशन (ISPR) के डायरेक्टर जनरल के साथ एक प्रेस कॉन्फ्रेंस उनकी अनुमति से की थी.

प्रधानमंत्री शरीफ ने दावा किया है कि उन्होंने सेना प्रमुख जनरल बाजवा के उत्तराधिकारी की नियुक्ति के अपने पूर्ववर्ती के प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर दिया है.

तीन साल के सेवा विस्तार पर चल रहे 61 वर्षीय बाजवा 29 नवंबर को सेवानिवृत्त होंगे. इससे पहले खान ने अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए कहा था कि सेना के खिलाफ उनकी आलोचना रचनात्मक थी. उन्होंने कहा, ‘‘मैं चाहता हूं कि सेना मजबूत हो. हमें एक मजबूत सेना की जरूरत है. मेरी रचनात्मक आलोचना उसे नुकसान पहुंचाने के लिए नहीं है.”

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