Pakistan Train Hijack: अभी खत्म नहीं हुआ ऑपरेशन, बीएलए का दावा- झूठ बोल रहा पाकिस्तान

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जाफर एक्सप्रेस ट्रेन हाईजैक से जुड़ा ऑपरेशन बुधवार को खत्म किए जाने की घोषणा के बाद गुरुवार को बलूच विद्रोहियों ने दावा किया है कि पाकिस्तान झूठ बोल रहा है।

केवल पाक सैन्य-सरकारी कर्मियों को ही बनाया गया बंधक
बलूच लिबरेशन आर्मी (बीएलए) ने दावा किया कि सिर्फ ट्रेन में सवार पाक सैन्यकर्मियों को ही बंधक बनाया था और महिला-बच्चों, बुजुर्गों समेत अन्य यात्रियों को स्वयं ही जाने दिया था। सेना के साथ लड़ाई अभी भी जारी है और बंधक सैन्यकर्मी भी कब्जे में हैं, जिन्हें जल्द ही मार दिया जाएगा।

गौरतलब है कि बुधवार को पाक सेना ने दावा किया था 33 विद्रोहियों को मारे जाने के साथ ऑपरेशन खत्म हो गया है। इस दौरान 21 बंधकों और चार सैनिकों की भी मौत हो गई। कानून-व्यवस्था की समीक्षा के साथ जीवित बचे लोगों से मिलने के लिए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने गुरुवार को बलूचिस्तान का दौरा किया।
आतंकवाद पाकिस्तान के अस्तित्व के लिए खतरा

उन्होंने कहा कि आतंकवाद पाकिस्तान के अस्तित्व के लिए खतरा है और सभी को एकजुट होकर इसे देश से मिटा देना चाहिए। खैबर-पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान से आतंकवाद को खत्म करके ही पाकिस्तान की तरक्की हो सकती है।
इस दौरान सभी राजनीतिक नेतृत्व को सैन्य नेतृत्व के साथ बैठकर सामने आने वाली चुनौतियों पर चर्चा करनी चाहिए। सरकार इससे निपटने के लिए सभी जरूरी संसाधन मुहैया कराएगी। हालांकि, गुरुवार को बीएलए प्रवक्ता जीयांद बलूच ने दावा किया कि यह हार और झूठ को छिपाने का एक असफल प्रयास है।

पाकिस्तान के काफी सैनिक मारे जा रहे हैं
वास्तविक सच्चाई यह है कि कई मोर्चों पर लड़ाई चल रही है और पाकिस्तान के काफी सैनिक मारे जा रहे हैं। ना तो पाक सेना ने युद्ध के मैदान में जीत हासिल की है और ना ही बंधक बने सैन्यकर्मियों को छुड़ाया है।

बंधकों को पाकिस्तान बचाने का दावा कर रहा है
पाक अपने सैनिकों को बंधक के रूप में मरने के लिए छोड़े दे रहा है। और जिन बंधकों को पाकिस्तान बचाने का दावा कर रहा है, वास्तव में उन्हें बीएलए ने युद्ध नीतियों से जुड़े अंतररराष्ट्रीय मानकों का कड़ाई से पालन करते हुए स्वेच्छा से छोड़ा था। हमनें पाकिस्तान को कैदियों की अदला-बदली का विकल्प दिया था, लेकिन उन्होंने इसे नहीं माना और हताश होकर सेना ने क्षेत्र में निहत्थे बलूच नागरिकों को निशाना बनाना शुरू कर दिया।

उन्होंने पाकिस्तान को चुनौती दी कि जमीनी हकीकत स्वीकारे और स्वतंत्र पत्रकारों और निष्पक्ष स्त्रोतों को इस इलाके में जाने दे, ताकि दुनिया पाक सेना को हुए असल नुकसान को जान सके। वहीं, बलूच राष्ट्रीय अभियान विदेश समिति के सदस्य हकीम बलूच ने बताया कि बीएलए ने साफ बता दिया था कि उन्होंने केवल पाक सैनिकों या सरकारी कर्मचारियों को ही बंधक बनाया है और बाकी सभी को छोड़ दिया है।

बीएलए ने इन बंधकों के एवज में बलूच कैदियों की रिहाई की मांग की थी
बीएलए ने इन बंधकों के एवज में बलूच कैदियों की रिहाई की मांग की थी, जो राजनीतिक कैदी, युद्ध बंदी और गायब हुए लोग हैं, जिन्हें पाकिस्तान ने अपनी जेलों में बंद कर रखा है। बीएलए की यह कार्रवाई बलूचिस्तान के प्राकृतिक संसाधनों पर पाकिस्तान के अवैध दोहन से जुड़ी है और ये लोग अपने अधिकारों, अपनी जमीन और आजादी के लिए लड़ रहे हैं। भारत पर प्रायोजित आतंकवाद का आरोपट्रेन हाईजैक का जिक्र किए बिना पाकिस्तान ने भारत पर प्रायोजित आतंकवाद का आरोप लगाया है।

पाकिस्तान के खिलाफ प्रायोजित आतंकवाद में भारत का हाथ
पाकिस्तान के विदेश विभाग की साप्ताहिक मीडिया ब्रीफिंग के दौरान यह पूछने पर- पहले भी बीएलए की गतिविधियों के लिए भारत को दोषी ठहराया जाता था, जबकि इस बार अफगानिस्तान की ओर उंगली उठाई गई है, तो क्या यह नीतियों में बदलाव की ओर इशारा कर रहा है…

इसके प्रवक्ता शफकत अली खान से गुरुवार को कहा, ”हमारी नीतियों में कोई बदलाव नहीं हुआ है। और एक बार फिर हकीकत नहीं बदली है। पाकिस्तान के खिलाफ प्रायोजित आतंकवाद में भारत का हाथ है।” वहीं, इस दौरान उन्होंने कहा कि उनके पास ट्रेन हाईजैक के दौरान विद्रोहियों के अफगानिस्तान में बैठे आकाओं से संपर्क में बने रहने के पुख्ता सुबूत हैं।

27 घंटे तक मौत का नाटक करता रहा ट्रेन चालक
वैसे तो अधिकारियों ने जाफर एक्सप्रेस के चालक की मौत की घोषणा कर दी थी, लेकिन गुरुवार को चालक अमजद ने मीडिया को बताया, ”विद्रोहियों ने खिड़कियां तोड़कर ट्रेन में प्रवेश किया, लेकिन उन्हें गलती से ऐसा लगा कि हमारी मौत हो चुकी है। जब उन्होंने गोलीबारी शुरू की तो मैं बचने के लिए इंजन के फ्लोर पर ही लेट गया था और जिंदा रहने के लिए 27 घंटे तक वहीं पर पड़ा रहा।”

लोगों ने सुनाई आपबीती
वहीं, जीवित बचे अर्सलान युसूफ ने बताया कि विद्रोही यात्रियों को उनके मूल निवास के हिसाब से अलग कर रहे थे। कभी वे सफर करने वाले सैनिकों को लेते और उन्हें मार देते। कभी किसी खास व्यक्ति को चुनकर वहीं मार देते। कई बार गोली खाने वाले महबूब अहमद ने बताया बंधकों ने ट्रेन से बच निकलने की दो कोशिशें कीं, लेकिन कुछ बचने में कामयाब हुए और कई गोलियों का निशाना बन गए।

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