जामा मस्जिद की सर्वे रिपोर्ट पेश करने में देरी, अब आठ जनवरी को होगी अगली सुनवाई

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हिंसा के बाद पहले जुमे पर जिलेभर में कड़ी सुरक्षा रही। जामा मस्जिद में दो हजार से अधिक लोगों ने नमाज पढ़ी।

उन्हें पहचान पत्र देखकर ही मस्जिद में प्रवेश दिया गया। इधर, सिविल कोर्ट (सीनियर डिवीजन) में एडवोकेट कमिश्नर रमेश राघव ने सर्वे रिपोर्ट पेश करने को अतिरिक्त समय मांगा।

कोर्ट ने दूसरे पक्ष के अधिवक्ताओं की सहमति के बाद उन्हें 10 दिन में रिपोर्ट देने को कहा। साथ ही मस्जिद के हरिहर मंदिर होने के मामले में अगली सुनवाई के लिए आठ जनवरी की तारीख तय की। इधर, संभल क्षेत्र में इंटरनेट सेवा छठे दिन शुक्रवार को बहाल कर दी गई। साथ ही बाहरी लोगों के प्रवेश पर पाबंदी 10 दिसंबर तक बढ़ा दी गई है।

एसपी कृष्ण कुमार विश्नोई ने शनिवार को सपा के प्रतिनिधिमंडल के आने के बारे में कहा है कि जिले की सीमा में किसी राजनीतिक प्रतिनिधिमंडल को घुसने की अनुमति नहीं होगी। सिविल जज (सीनियर डिवीजन) कोर्ट चंदौसी में 19 नवंबर को मस्जिद के हरिहर मंदिर होने का वाद दायर किया गया। कोर्ट ने उसी दिन सर्वे का आदेश दिया और वरिष्ठ अधिवक्ता रमेश राघव को एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त किया था। कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए 29 नवंबर की तिथि तय की थी।

19 नवंबर को सर्वे के लिए पहुंची थी टीम

19 नवंबर को एडवोकेट कमिश्नर ने मस्जिद में वीडियोग्राफी कराई। उन्होंने रविवार को दूसरे चरण की वीडियोग्राफी कराई। इसी दौरान हिंसा होने पर चार लोगों की मृत्यु हो गई थी। 30 से अधिक पुलिस व प्रशासनिक अफसर घायल हो गए। शुक्रवार को जामा मस्जिद में नमाज और कोर्ट में सुनवाई होने से पूरे जिले मे कड़़ी चौकसी बरती गई।

कोर्ट के आसपास भी बैरिकेडिंग की गई थी। चप्पे-चप्पे पर पुलिसकर्मी तैनात किए गए थे। सुबह साढ़े 10 बजे के करीब एडवोकेट कमिश्नर कोर्ट आए। उन्होंने सर्वे रिपोर्ट पेश करने के लिए समय मांगा, जिस पर कोर्ट ने 10 दिन के अंदर रिपोर्ट पेश करने को कहा है।
हिंसा के दिन बाइकों में आग लगाने का वीडियो आया सामने

प्रशासन ने 24 नवंबर को जामा मस्जिद के पास वाहनों में आग लगाने वालों का वीडियो सार्वजनिक किया है। साथ ही उपद्रवियों की पहचान के लिए लोगों से पूछताछ ही जा रही है। ताकि नुकसान की पाई-पाई वसूली और उनके खिलाफ कार्रवाई की जा सके। रविवार को जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान हुई हिंसा में उपद्रवियों ने कार और कई बाइक सहित कई वाहन भी जला दिए थे। इसको लेकर शुरुआती तौर पर कोई ऐसा साक्ष्य नहीं था, जिससे यह पता लगाया जा सके कि किसने आग लगाई थी।

अब पुलिस और प्रशासन की ओर से ड्रोन का एक वीडियो सार्वजनिक किया है। करीब 28 सेकंड के वीडियो में तीन से चार लोग बाइकों को गिराकर उसमें तोड़फोड़ और आग लगाते दिख रहे हैं। पुलिस उपद्रवियों की पहचान के लिए लोगों से पूछताछ में जुट गई है।

2018 में दर्ज हुआ था मुकदमा
भारत सरकार के शासकीय अधिवक्ता विष्णु शर्मा ने कोर्ट को बताया कि पुरातत्व सर्वेक्षण की टीम को भी मस्जिद में जाने से रोका जाता था। जून 2024 में टीम रूटीन सर्वे को आई थी। 12 दिन तक प्रवेश की अनुमति नहीं दी गई। पिछला सर्वे 25 जून को हुआ है। उनका कहना था कि 2018 में बिना अनुमति निर्माण कराने पर एएसआइ द्वारा मस्जिद कमेटी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई थी। क्योंकि एएसआइ के अधीन स्मारक में बिना अनुमति निर्माण नहीं कराया जा सकता है।

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