दिल्ली में हवा की गुणवत्ता हुई कुछ बेहतर, 400 के नीचे आया AQI; जानें आपके इलाके में कैसे है प्रदूषण

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दिल्ली-एनसीआर में ठंड बढ़ने के साथ हवा भी लगातार जहरीली हो गई है. यही वजह है कि दिल्ली का एक्यूआई पिछले दिनों खतरनाक स्तर पर पहुंच गया था.

हालांकि अब शहर के औसत एक्यूआई में जरूर गिरावट आई है. जिससे शहर की आबोहवा पहले से थोड़ी साफ हुई है. नतीजतन आज सुबह दिल्ली का औसत एक्यूआई (AQI) 302 दर्ज किया गया. बीते दिन भी दिल्ली का एक्यूआई लगातार चौथे दिन भी ‘‘बेहद खराब” श्रेणी में रहा था. आज लगातार पांचवा दिन है, जब शहर का एक्यूआई बेहद खराब श्रेणी में दर्ज किया गया. इसी के साथ दिल्ली में बढ़ती ठंड का असर भी दिखने लगा है. दिल्ली में इस मौसम की दूसरी सबसे ठंडी रात दर्ज की गई.

स्वच्छ हवा के लिए प्रदर्शन
स्टूडेंट्स और उनके अभिभावकों के एक ग्रुप ने बुधवार को संसद के पास विरोध प्रदर्शन किया और राजनेताओं से दिल्ली की जहरीली होती आबोहवा की समस्या का समाधान करने का आग्रह किया. प्रदर्शनकारी ”सांसों के लिए संसद चलो” के बैनर तले एकत्र हुए. विरोध प्रदर्शन में शामिल एक अभिभावक ने कहा, ‘‘हम इस बात को लेकर बहुत चिंतित हैं कि अगर स्थिति और खराब होती रही तो हम अपने बच्चों और अगली पीढ़ी को स्वच्छ हवा कैसे उपलब्ध करा पाएंगे.”

खराब श्रेणी में दिल्ली का AQI

दिल्ली के इलाकों के नाम AQI@ 6.00 AM कौन सा जहर कितना औसत
आनंद विहार 357 PM 2.5 का लेवल हाई 357
मुंडका 364 PM 2.5 का लेवल हाई 364
वजीरपुर 330 PM 2.5 का लेवल हाई 330
जहांगीरपुरी 354 PM 2.5 का लेवल हाई 354
आर के पुरम 399 PM 2.5 का लेवल हाई 313
ओखला  301 PM 2.5 का लेवल हाई 301
बवाना 341 PM 2.5 का लेवल हाई 341
विवेक विहार 328 PM 2.5 का लेवल हाई 328
नरेला 316 PM 2.5 का लेवल हाई 316

प्रदूषण के बढ़ते स्तर को देखते हुए दिल्ली में ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रैप) के चौथे चरण (ग्रैप-4) को लागू कर दिया गया है. ग्रैप-4 लागू किए जाने के बाद वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए सरकार द्वारा कई कड़े प्रतिबंध लगाए गए हैं. दिल्ली में कारखानों, निर्माण कार्यों, और यातायात पर कड़ी पाबंदियां लगाई गई है.

दिल्ली का घुट रहा दम
प्रदर्शनकारियों में नौ-वर्षीय मीरा पूर्णिमा वुट्स भी शामिल थीं. मीरा ने कहा, ‘‘प्रदूषण के कारण मेरे पिता और मुझे लगातार खांसी आती रहती है। मेरे परिवार के कुछ अन्य सदस्यों को भी इसके कारण स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो रही हैं.” विरोध प्रदर्शन में शामिल पर्यावरणविद् भवरीन कंधारी ने इस मुद्दे की गंभीरता पर बल दिया. भवरीन ने कहा, ‘‘यह सांसदों के लिए एक अनुरोध और एक अनुस्मारक दोनों है कि दिल्ली शहर का दम घुट रहा है. हर बच्चा पीड़ित है. हाल ही में हुए एक सर्वे से पता चला है कि केमिस्ट की दुकानों पर हर तीसरा ग्राहक कोई माता-पिता है जो अपने बच्चे के लिए दवाएं मांग रहा है.”

प्रदूषण का स्तर बहुत ज्यादा बढ़ जाता है और औसत एक्यूआई 450 को पार कर जाता है तो ग्रैप का चौथा चरण लागू किया जाता है. ग्रैप-4 लागू होने के बाद प्रतिबंध सबसे ज्यादा और सबसे कड़े होते हैं. राजधानी में ट्रक, लोडर समेत अन्य भारी वाहनों को दिल्ली में प्रवेश करने की इजाजत नहीं है.

जिंदगी के 12 साल छीन रही है जहरीली हवा
पर्यावरणविद् ने कहा, ‘‘कई बच्चे नेबुलाइजर और एंटीबायोटिक दवाओं पर निर्भर हैं. प्रदूषित हवा उनके जीवन के 12 साल छीन रही है. हम सरकार से आग्रह करते हैं कि वह स्वच्छ हवा को राष्ट्रीय चर्चा में लाए, निर्णायक कार्रवाई करे और हमारी रक्षा के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति दिखाए. आखिरकार, हमने अपने प्रतिनिधियों को हमारे लिए बोलने के लिए चुना है.” प्रदर्शनकारियों ने स्थिति की गंभीरता पर जोर देने के लिए ”हमारे बच्चों के फेफड़े बचाओ”, ”सांस लेने का मेरा अधिकार” और ”वायु प्रदूषण पर तुरंत कार्रवाई करो” जैसे संदेश लिखी हुईं तख्तियां उठा रखी थीं.

कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के निदेशक द्वारा 26 नवंबर को दाखिल एक रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘पंजाब राज्य द्वारा किए गए प्रयासों के परिणामस्वरूप पराली जलाने की घटनाओं की संख्या 25 नवंबर, 2023 को 36,551 से घटकर 25 नवंबर, 2024 को 10,479 रह गई है, यानी इसमें 70 फीसदी की कमी आई है.”

दिल्ली में मजदूरों का भी प्रदर्शन
सिविल लाइंस स्थित दिल्ली के उपराज्यपाल कार्यालय के निकट बुधवार को सैकड़ों निर्माण श्रमिकों ने प्रदर्शन किया और जीआरएपी के तहत निर्माण गतिविधियों पर जारी प्रतिबंध के कारण हो रहे नुकसान के लिए मुआवजे की मांग की. उन्होंने उपराज्यपाल कार्यालय और श्रम विभाग को एक ज्ञापन भी सौंपा, जिसमें उन्होंने अपनी चिंताओं को व्यक्त किया और अपनी मांगों पर कार्रवाई का अनुरोध किया. यह प्रदर्शन ‘बिल्डिंग वर्कर्स यूनियन’ द्वारा आयोजित किया गया था.

एम्स एक्सपर्टस की लोगों को ये सलाह
दिल्ली एम्स के एक्सपर्ट्स ने लोगों को सलाह दी है कि शहर में वायु प्रदूषण के बीच शरीर में विटामिन डी के स्तर को बनाकर रखें. उन्होंने धुंध के बीच धरती पर धूप पर्याप्त मात्रा में नहीं आने के मद्देनजर यह सलाह दी है. सूर्य की रोशनी विटामिन डी का सबसे अच्छा स्रोत होता है. एम्स प्रोफेसर डॉ रवींद्र गोस्वामी ने कहा कि सभी आयु वर्ग के लोग सलाह के अनुसार सर्दियों के दौरान विटामिन डी लेने पर विचार कर सकते हैं और यदि कोलेकैल्सीफेरॉल की 60,000 आईयू जैसी मात्रा हो तो शरीर में विटामिन डी का स्तर जाने बिना इसे लिया जा सकता है.

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