मणिपुर के जिरीबाम से सोमवार से लापता (अपह्रत) छह लोगों में से तीन के शव शुक्रवार शाम असम-मणिपुर के बार्डर पर स्थित जिरीमुख में मिले हैं.
इन लोगों को कुछ दिन पहले जिरीबाम के कैंप से अगवा किया गया था. शवों को पोस्टमार्टम के लिए सिलचर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल ले जाया गया है. इनकी लाशें जिरी नदी में बहती दिखीं.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस को जिरी नदी में शव तैरते देखे जाने की सूचना मिली थी. इसके बाद असम राइफल्स के जवानों ने उन्हें बाहर निकाला. परिवार के सदस्यों ने अभी तक शवों की पहचान नहीं की है, लेकिन उनके विवरण लापता हुए 6 लोगों में तीन से मेल खाते हैं.
6 लोगों का हुआ था अपहरण
आपको बता दें कि कुछ दिन पहले मणिपुर में सुरक्षाबलों ने एक बड़ी कार्रवाई में कम से कम 11 हथियारबंद कुकी उग्रवादियों को मार गिराया था, जो जिरीबाम जिले के बोरोबेकरा में एक पुलिस स्टेशन पर हमला करने आए थे.11 नवंबर को दोपहर 3:30 बजे कुकी उग्रवादियों ने जिरीबाम के बोरोबेकरा स्थित सीआरपीएफ कैंप पर हमला कर दिया. सीआरपीएफ ने भी जवाबी कार्रवाई की और मुठभेड़ में कम से कम 11 कुकी उग्रवादी मारे गए.
इस हमले के बाद तीन महिलाएं और तीन बच्चे लापता हो गए थे. कहा गया कि जिरीबाम में कुकी उग्रवादियों ने इन छह सदस्यों का अपहरण किया था. अब इन्ही अपह्रत लोगों में से तीन के शव जिरीमुख में मिले हैं.
मणिपुर में कैसे हुई हिंसा की शुरुआत?
मणिपुर में हिंसा की शुरुआत पिछले साल 3 मई से तब हुई, जब मणिपुर हाई कोर्ट के एक आदेश के खिलाफ कुकी-जो जनजाति समुदाय के प्रदर्शन के दौरान आगजनी और तोड़फोड़ की गई. दरअसल, मैतेई समुदाय ने इस मांग के साथ मणिपुर हाई कोर्ट में एक याचिका दाखिल की थी कि उन्हें जनजाति का दर्जा दिया जाए.
मैतेई समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था. उससे पहले उन्हें जनजाति का दर्जा मिला हुआ था. मणिपुर हाई कोई ने याचिका पर सुनवाई पूरी होने के बाद राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल करने पर विचार किया जाए.