किसानों के ‘दिल्ली कूच’ पर 24 घंटे का ब्रेक… सरकार को अल्टीमेटम- हम टकराव नहीं बातचीत के पक्षधर

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पंजाब-हरियाणा सीमा पर आंसू गैस के गोले लगने से कुछ किसानों के घायल (Farmers Injured) होने के बाद प्रदर्शनकारी किसानों ने दिल्ली की ओर अपना पैदल मार्च शुक्रवार को स्थगित कर दिया.

किसान संगठनों ने सरकार को 24 घंटे का वक्त दिया है. उन्‍होंने कहा कि मांगें नहीं मानी गई तो 24 घंटे बाद फिर शांतिपूर्ण प्रदर्शन होगा. किसान संगठनों, संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के आह्वान पर 101 किसानों का एक जत्था न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए कानूनी गारंटी सहित विभिन्न मांगों को लेकर शंभू सीमा स्थित अपने विरोध स्थल से आज दोपहर एक बजे दिल्ली के लिए पैदल मार्च शुरू किया. हालांकि, उन्हें कुछ मीटर की दूरी पर हरियाणा के सुरक्षाकर्मियों द्वारा लगाए गए बहुस्तरीय अवरोधक के कारण रुकना पड़ा. जब कुछ किसान अवरोधकों के पास पहुंच गए तो सुरक्षाकर्मियों ने आंसू गैस का इस्तेमाल किया.

शंभू बॉर्डर पर पानी की बौछारें करने वाले वाहन भी तैनात किए गए हैं. हरियाणा पुलिस ने किसानों से आगे न बढ़ने को कहा और अंबाला जिला प्रशासन द्वारा भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 163 के तहत निषेधाज्ञा लागू होने का हवाला दिया. निषेधाज्ञा के बावजूद किसानों ने अवरोधकों को पार करने का प्रयास किया, लेकिन उन्हें रोक दिया गया. सुरक्षाकर्मियों ने प्रदर्शनकारी किसानों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के कई गोले दागे और उन्हें पंजाब के शंभू में अपने विरोध स्थल पर वापस जाने के लिए मजबूर किया.

लोहे की कीलें और कंटीले तार उखाड़े
कुछ किसान सड़क से लोहे की कीलें और कंटीले तार उखाड़ते नजर आए और उन्होंने धुएं से बचने के लिए गीले जूट के बोरे से अपने चेहरे ढके हुए थे. अपने यूनियन (किसान संघ) के झंडे थामे हुए जत्थे के कई किसानों ने शुरुआती अवरोधकों को आसानी से पार कर लिया, लेकिन आगे नहीं बढ़ सके.

विभिन्न किसान यूनियन के झंडे थामे कुछ किसानों ने घग्गर नदी पर बनाए गए पुल पर सुरक्षाकर्मियों द्वारा लगाई गई लोहे की जाली को नीचे धकेल दिया. प्रदर्शनकारियों में से एक टिन शेड की छत पर चढ़ गया, जहां सुरक्षा बल तैनात थे. उसे नीचे उतरने के लिए मजबूर किया गया.

8 किसानों के घायल होने का किया दावा
किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने शाम को कहा कि आंसू गैस के गोले दागने से कम से कम आठ किसान घायल हुए हैं, जिनमें से दो गंभीर रूप से घायल हैं. उन्होंने हरियाणा सरकार पर ‘‘किसानों के खिलाफ ज्यादती करने” का आरोप लगाया. घायलों में किसान नेता सुरजीत सिंह फुल भी शामिल हैं. किसान नेताओं ने कहा कि घायलों को अस्पताल ले जाया गया.

पंढेर ने मार्च शुरू करने वाले 101 किसानों को ‘मरजीवड़ा’ (ऐसे लोग, जो किसी मकसद के लिए जान भी देने को तैयार हों) कहा था.

पंढेर ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘कुछ किसानों के घायल होने के मद्देनजर हमने आज के लिए जत्थे को वापस बुला लिया है.” उन्होंने कहा, ‘‘हम सरकार से अपील करते हैं कि या तो वह हमसे बातचीत करे या हमें दिल्ली जाने की अनुमति दे. वे ऐसा व्यवहार कर रहे हैं जैसे हम किसी दूसरे देश के दुश्मन हों. पंजाबियों और किसानों ने देश के लिए सबसे ज्यादा बलिदान दिया है.”

उन्होंने हरियाणा के सुरक्षाकर्मियों द्वारा किए गए ‘‘बल प्रयोग” को ‘‘अनुचित” बताया. पंढेर ने दावा किया, ‘‘उन्होंने इस जगह (शंभू बॉर्डर) को पाकिस्तान या चीन के साथ लगी भारत की सीमा जैसा बना दिया है.”

अगले कदम के बारे में किसान नेता ने कहा कि जत्था अब रविवार को दिल्ली के लिए रवाना होगा. उन्होंने कहा, ‘‘अगर केंद्र की ओर से बातचीत का कोई प्रस्ताव आता है तो हम कल तक इंतजार करेंगे. अब केंद्र बातचीत करना चाहता है या नहीं, यह उसका फैसला होगा, हम चाहते हैं कि बातचीत हो.”

उन्होंने कहा, ‘‘हम केंद्र के साथ कोई टकराव नहीं चाहते हैं और हम अपना (दिल्ली चलो) मार्च शांतिपूर्ण जारी रखेंगे.”

किसानों के पास दिल्‍ली में धरने की इजाजत नहीं : विज
किसान आंदोलन पर हरियाणा के कैबिनेट मंत्री अनिल विज ने कहा कि किसानों के पास दिल्ली में धरने की इजाजत नहीं है. यदि कोई धरना या प्रदर्शन करना है तो इसकी इजाजत लेनी होती है. अपने शहर में प्रदर्शन के लिए भी प्रशासन से अनुमति लेनी होती है. किसानों ने अनुमति नहीं ली है और जब तक अनुमति नहीं ली है, तब तक उनको जाने कैसे दिया जा सकता है. उन्‍होंने कहा कि किसान दिल्ली में प्रदर्शन करने की इजाजत ले ले, हरियाणा सरकार उन्हें जाने से नहीं रोकेगी.

उन्‍होंने किसानों की मांगों के संबंध में कहा कि सुप्रीम कोर्ट की तरफ से गठित कमेटी इस दिशा में काम कर रही है. किसानों से पंजाब सरकार को बातचीत करनी चाहिए, क्योंकि उन्‍हीं की धरती पर वे धरने पर बैठे हैं, लेकिन पंजाब की सरकार किसानों से कोई बातचीत नहीं कर रही है. उन्‍होंने कहा कि पंजाब सरकार किसानों से बातचीत करके कोई समाधान निकाले.

उन्‍होंने कहा कि हिंदुस्‍तान की पहचान है कि जो भी आंदोलन लोकतांत्रिक तरीके से किए गए हैं, उनका समाधान निकला है. उग्र तरीके से प्रदर्शन करने से कुछ नहीं होता है.

कानून व्‍यवस्‍था को कायम रखना हमारी जिम्‍मेदारी : राणा
हरियाणा के कृषि मंत्री श्याम सिंह राणा ने कहा कि किसान पंजाब बॉर्डर पर धरने पर बैठे हैं. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में कमेटी बनाने को कहा था. रास्ता निकालने के लिए ही किसानों की डिमांड पर यह कमेटी बनाई गई थी. कमेटी ने एक रिपोर्ट तैयार करके न्यायालय में पेश कर दी है और कोर्ट में इसकी 13 दिसंबर को सुनवाई है. मैं समझता हूं कि किसानों को कोर्ट की पालना करनी चाहिए. किसान पंजाब में बैठे हैं, हमारे हरियाणा में कोई दिक्‍कत नहीं है. हरियाणा सरकार तो पहले ही 24 फसलों पर एमएसपी दे रही है.

उन्होंने कहा कि नौ दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पानीपत आ रहे हैं. कानून व्यवस्था को कायम रखना हमारी जिम्‍मेदारी है.

उन्‍होंने कहा कि पंजाब में किसानों के आंदोलन के कारण कई इंडस्‍ट्रीज उत्तर प्रदेश शिफ़्ट हो गई है. पंजाब के किसानों को एमएसपी की बात अपने मुख्यमंत्री से करनी चाहिए.

सड़कों को अवरुद्ध करना असंवैधानिक और अमानवीय : अरोड़ा
पंजाब के मंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) के प्रदेश अध्यक्ष अमन अरोड़ा ने कहा कि हरियाणा सरकार द्वारा ‘‘दिल्ली की ओर जाने वाली सड़कों को अवरुद्ध करना असंवैधानिक और अमानवीय है.” उन्होंने केंद्र से किसानों की मांगों पर तत्काल ध्यान देने की अपील की.

अंबाला प्रशासन ने जिले के सभी सरकारी और निजी विद्यालयों को बंद करने का आदेश दिया है.

पत्रकारों से बातचीत में पंढेर ने किसानों के खिलाफ ज्यादती करने और उन्हें आगे बढ़ने से रोकने के लिए केंद्र की आलोचना की. उन्होंने पूछा, ‘‘केंद्र ने (हमारे खिलाफ) बल प्रयोग किया. क्या आपने हमारे पास कोई हथियार देखा?”

उन्होंने कहा, ‘‘हमें केंद्र द्वारा अर्धसैनिक बलों, ड्रोन और अन्य साजो-सामान की तैनाती जैसे इंतजामों के बारे में पता था. हम जानते थे कि हम आगे नहीं बढ़ पाएंगे. केंद्रीय मंत्रियों और राज्य भाजपा नेताओं ने पूर्व में कहा था कि उन्हें किसानों के ट्रैक्टर ट्रॉली के साथ मार्च करने पर आपत्ति है, हम देश और दुनिया को दिखाना चाहते थे कि किसान इनके बिना भी दिल्ली आ सकते हैं.”

पंढेर ने कहा, ‘‘अब जब हम पैदल मार्च कर रहे थे, तो आपत्ति क्या थी और उन्होंने हमें अनुमति क्यों नहीं दी.” उन्होंने कहा, ‘‘मैंने कल कहा था कि अगर शांतिपूर्वक पैदल मार्च कर रहे जत्थे को रोका जाता है तो यह किसानों की नैतिक जीत होगी.”

पंढेर ने कहा कि किसानों ने अंबाला के अधिकारियों को मांगों का एक पत्र सौंपा है, जिसे आगे भेजने का आश्वासन दिया गया है. उन्होंने कहा कि किसान केंद्र द्वारा उनके साथ किए जा रहे व्यवहार के बारे में अब पंजाब के भाजपा नेताओं से पूछेंगे.

किसानों की एमएसपी के साथ कर्ज माफी सहित कई मांगें
किसानों ने फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी समेत अपनी विभिन्न मांगों को लेकर इससे पहले 13 फरवरी और 21 फरवरी को राष्ट्रीय राजधानी की ओर मार्च करने का प्रयास किया था, लेकिन उन्हें सुरक्षा बलों ने पंजाब-हरियाणा सीमाओं पर शंभू और खनौरी में रोक दिया था.

किसानों के मार्च के पहले हरियाणा सरकार ने शुक्रवार को अंबाला जिले के 11 गांवों में मोबाइल इंटरनेट और एक साथ कई लोगों को संदेश भेजने की सुविधा ‘बल्क एसएमएस सेवा’ पर नौ दिसंबर तक रोक लगा दी.

किसान एमएसपी के अलावा कर्ज माफी, किसानों एवं खेत मजदूरों के लिए पेंशन और बिजली दरों में बढ़ोतरी न करने की मांग कर रहे हैं. वे 2021 की लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए ‘‘न्याय”, भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 को बहाल करने और 2020-21 में पिछले आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा दिए जाने की भी मांग कर रहे हैं.

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